च्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय को इस बारे में तीन हफ्तों के अंदर फैसला करने को कहा कि क्या यह छह महिला न्यायाधीशों के असंतोषजनक कामकाज को लेकर सेवाएं समाप्त करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकता है।
न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ एक स्वत: संज्ञान वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है। अपनी सेवाएं समाप्त किये जाने के खिलाफ छह पूर्व न्यायिक अधिकारियों में से तीन के शीर्ष अदालत का रुख करने के बाद इस याचिका की पहल की गई थी।
पीठ ने कहा कि यह अभी कोई लिखित आदेश पारित नहीं कर रही लेकिन मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के वकील से कहा कि वह शीर्ष अदालत के विचार से उच्च न्यायालय के अवगत कराएं और उपयुक्त निर्देश प्राप्त करें।
न्यायमूर्ति करोल ने वकील से कहा, ‘‘हमारे इरादों से उच्च न्यायालय को अवगत कराएं।’’ न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि यदि उच्च न्यायालय अपने फैसले पर पुनर्विचार करता है तो शीर्ष अदालत विषय में कोई आदेश पारित नहीं करेगा।
विषय में अदालत की सहायता के लिए न्याय मित्र नियुक्त किये गए वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने कहा कि उच्च न्यायालय की प्रशासनिक समिति द्वारा इन पूर्व न्यायिक अधिकारियों के कामकाज के बारे में कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की गई है।
पीठ ने कहा कि वह फिलहाल कुछ नहीं कह रही है और वकील से सेवा समाप्त करने पर केवल पुनर्विचार करने के बारे में उच्च न्यायालय को अपना विचार बताने के लिए कह रही है।
शीर्ष अदालत ने 12 जनवरी को छह महिला सिविल (दीवानी) न्यायाधीश की सेवाएं समाप्त करने का संज्ञान लिया था और उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
उच्च न्यायालय की एक प्रशासनिक समिति और एक पूर्ण अदालत की बैठक में परिवीक्षा अवधि के दौरान उनके प्रदर्शन को असंतोषजनक पाए जाने के बाद राज्य के कानून विभाग द्वारा जून 2023 में सेवा समाप्ति के आदेश पारित किए गए थे।