पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद पर उठ रहे सवालों का जवाब देने की बजाय केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार कर जनता का ध्यान भटकाने में लगे हुए हैं। ममता बनर्जी सरकार के कई मंत्रियों, विधायकों और सांसदों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं लेकिन उन पर कार्रवाई करने की बजाय तृणमूल कांग्रेस सरकार मोदी विरोधी अभियान को आगे बढ़ाने में लगी हुई है। ममता आरोप लगा रही हैं कि केंद्र बकाया राशि नहीं दे रहा है और केंद्र कह रहा है कि पहले निर्धारित मानदंडों को पूरा करो। इसी तरह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से शराब घोटाला मामले में ईडी पूछताछ करना चाहती है। केजरीवाल को पूछताछ के लिए पांचवीं बार समन भेजा गया था लेकिन वह नहीं पेश हुए और इसकी बजाय भाजपा मुख्यालय पर अपनी पार्टी के प्रदर्शन का नेतृत्व करने जा रहे हैं। केजरीवाल कह रहे हैं कि उन्हें जो समन भेजे जा रहे हैं वह निर्धारित मानदंडों के आधार पर नहीं भेजा जा रहा है। यहां सवाल उठता है कि क्या मुख्यमंत्री पद पर आ जाने से कोई व्यक्ति कानून की अनदेखी कर सकता है या उसकी जवाबदेही कानून के प्रति खत्म हो जाती है? सवाल यह भी उठता है कि ममता और केजरीवाल की हल्ला बोल राजनीति क्या जनहित और देशहित में है? सवाल यह भी उठता है कि क्या ममता और केजरीवाल अपनी हल्लाबोल राजनीति से बंगाल और दिल्ली के असल मुद्दों से जनता का ध्यान भटका रहे हैं?
जहां तक बंगाल का सवाल है तो आपको बता दें कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्र द्वारा राज्य का बकाया कथित तौर पर रोके जाने के विरोध में आज धरना देंगी। केंद्र द्वारा विशेष रूप से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत बकाया राशि कथित तौर पर रोके जाने का मुद्दा राज्य में एक बड़े राजनीतिक विवाद में बदल गया है। तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि धरना एक बजे रेड रोड इलाके के मैदान में शुरू होगा। उन्होंने कहा है कि हमारी पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करेंगी। पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहेंगे। हम आपको याद दिला दें कि इससे पहले, तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने पार्टी विधायकों, सांसदों, मंत्रियों और मनरेगा कार्यकर्ताओं के एक समूह के साथ नयी दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया था और राजभवन के बाहर पांच दिन तक धरना दिया था। ममता बनर्जी के नेतृत्व में पिछले वर्ष मार्च में भी इसी तरह का दो दिवसीय धरना दिया गया था। तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि यह धरना लोकसभा चुनाव से पहले इस मुद्दे पर तीसरा बड़ा विरोध प्रदर्शन है। बताया जा रहा है कि पश्चिम बंगाल का बजट सत्र पांच फरवरी से शुरू होगा और इस प्रदर्शन के तब तक जारी रहने की संभावना है।
पश्चिम बंगाल सरकार केंद्र पर जो आरोप लगा रही है उसके बारे में राज्य के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने भी प्रतिक्रिया दी है। बृहस्पतिवार को नयी दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ बैठक के बाद उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल का सारा बकाया केंद्र द्वारा चुका दिया जाएगा, बशर्ते राज्य सरकार केंद्र के निर्धारित मानदंडों को पूरा करे। राष्ट्रीय राजधानी की दो-दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर गए बोस ने कहा कि शाह के साथ उनकी मुलाकात के दौरान राज्य की कानून-व्यवस्था और अन्य विषयों पर भी चर्चा हुई। राजभवन द्वारा जारी एक वीडियो संदेश में बोस ने कहा, ‘‘जो भी बकाया है वह निश्चित रूप से दिया जाएगा, बशर्ते केंद्र द्वारा निर्धारित मानदंडों को पूरा किया जाए।' उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पिछले कुछ महीनों में केंद्र की ओर से पूछे गये विभिन्न प्रश्नों के उत्तर दिए हैं। मैंने भी अपने स्तर पर इसकी समीक्षा की है। उन्होंने कहा, ‘‘मामले को भारत सरकार के समक्ष उठाया गया है। लोगों को न्याय देने के लिए जो भी करने की जरूरत है वह जल्द ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र द्वारा किया जाएगा।’’
हम आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल सरकार का कहना है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) कार्यक्रम, प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना (पीएमजीएवाई) सहित केंद्र सरकार द्वारा संचालित कई योजनाओं के लिए राज्य का बकाया 7,000 करोड़ रुपये है।
वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बात करें तो वह अब रद्द हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन के मामले में पूछताछ के लिए शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश नहीं होंगे। प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले चार महीनों में उन्हें पांच समन जारी किए है लेकिन वह अभी तक उसके सामने पेश नहीं हुए हैं। पार्टी ने समन को ‘‘अवैध’’ करार देते हुए कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय केजरीवाल को गिरफ्तार करने के लिए बार-बार नोटिस भेज रहा है। ‘आप’ ने आरोप लगाया कि भाजपा केजरीवाल को गिरफ्तार कर दिल्ली में उनकी सरकार गिराना चाहती है। उसने कहा कि आम आदमी पार्टी ऐसा नहीं होने देगी।
हम आपको बता दें कि आरोप है कि शराब व्यापारियों को लाइसेंस देने संबंधी दिल्ली सरकार की 2021-22 की आबकारी नीति में उन कुछ शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाया गया, जिन्होंने कथित तौर पर इसके लिए रिश्वत दी थी। हालांकि, आम आदमी पार्टी आरोपों का बार-बार खंडन करती रही है। बाद में इस नीति को वापस ले लिया गया था और दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी। इसके बाद ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया था।