New Delhi: ले तो लेते हैं मगर पछताते हैं iPhone वाले! एंड्रॉयड वाले सस्ते में भी काटते हैं मौज

New Delhi: ले तो लेते हैं मगर पछताते हैं iPhone वाले! एंड्रॉयड वाले सस्ते में भी काटते हैं मौज

कस्टमाइजेशन: एंड्रॉयड फोन्स iPhones की तुलना में ज्यादा कस्टमाइजेशन ऑफर करते हैं. एंड्रॉयड यूजर्स अपनी होम स्क्रीन को पर्सनलाइज कर सकते हैं, कस्टम लॉन्चर इंस्टॉल कर सकते हैं और सिस्टम-वाइड थीम्स को कस्टमाइज भी कर सकते हैं. इसी तरह इसमें थर्ड पार्टी ऐप्स का भी एक्सेस मिलता है

हार्डवेयर की वेराइटी: एंड्रॉयड फोन्स को कई कंपनियां मैन्युफैरक्चर करती हैं. ऐसे में डिजाइन, फीचर्स और कीमत को लेकर काफी ऑप्शन होते हैं. ऐसे में ग्राहकों के पास अपनी पसंद और बजट के हिसाब से एक बेहतर फोन चुनने का ऑप्शन होता है

एक्सपेंडेबल स्टोरेज: काफी सारे एंड्रॉयड फोन्स अभी भी microSD कार्ड्स के जरिए एक्सपेंडेबल स्टोरेज का सपोर्ट ऑफर करते हैं. इससे यूजर्स को सस्ते में स्टोरेज कैपेसिटी बढ़ाने में मदद मिलती है.

डिफॉल्ट ऐप्स: एंड्रॉयड में यूजर्स वेब ब्राउजिंग, ई-मेल और मैसेजिंग जैसे कई फंक्शन्स के लिए अपनी पसंद का डिफॉल्ट ऐप सेट कर सकते हैं. जबकि iOS के इकोसिस्टम में इस लेवल की फ्रीडम नहीं मिलती है. इसी तरह एंड्रॉयड में काफी सारी सर्विसेज और ऐप्स फ्री में मिल जाती हैं, लेकिन iPhone यूजर्स को चार्ज देने होते हैं.

गूगल इंटीग्रेशन: गूगल सर्विसेज और ऐप्स पर एंड्रॉयड सीमलेस तरीके से इंटीग्रेट हो जाता है. ऐसे में गूगल के इकोसिस्टम पर काफी ज्यादा निर्भर रहने वाले लोगों को एक कोहेसिव एक्सपीरिएंस मिलता है.

मल्टीटास्किंग: एंड्रॉयड में बेहतर मल्टीटास्किंग कैपेबिलिटी मिलती है. इससे यूजर्स एक साथ कई ऐप्स चला सकते हैं. साथ ही काफी सारे डिवाइसेज में स्प्लिट स्क्रीन फंक्शन भी ऑफर किया जाता है

प्राइस रेंज: एंड्रॉयड फोन्स के लिए प्राइस रेंज काफी बड़ी है. ऐसे में जो ग्राहक बेहद कम कीमत में भी फोन खरीदना चाह रहे हैं उनके पास ऑप्शन होता है. कई बार अलग-अलग कामों के लिए एक से ज्यादा फोन भी रखते हैं. ऐसी स्थितियों के लिए भी सस्ते फोन काम आ जाते हैं

Leave a Reply

Required fields are marked *