92 दिनों तक ज्ञानवापी मस्जिद के चले ASI सर्वे की रिपोर्ट आखिरकार सामने आ ही गई है. ASI की सर्वे रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. जैसे- मस्जिद के अंदर हिंदू-देवी देवताओं की मूर्ति, स्वस्तिक, नाग देवता, कमल पुष्प, घंटी के निशान और मंदिर के टूटे हुए खंभों के अवशेष मिले हैं. यही नहीं ASI ने अपने सर्वे रिपोर्ट में यह तक बताया है कि मंदिर को गिराने का आदेश कब जारी किया गया, आदेश किसने जारी किया, आदेश जारी करने के बाद किस तारीख को मंदिर को गिराया गया? यही नहीं ASI ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में ये भी बताया है कि यहां पर मस्जिद से पहले एक मंदिर था.
दरअसल, ज्ञानवापी मस्जिद में किए गए ASI सर्वे की रिपोर्ट गुरुवार रात हिंदू और मुस्लिम पक्ष को सौंप दी गई है. ASI ने अपनी 839 पेज की सर्वे रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है कि मुगल बादशाह औरंगजेब के कहने पर 17वीं शताब्दी में मंदिर को ढहाया गया था. ASI ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में एग्जैक्ट डेट तक बताई है कि कब मंदिर को ढहाया गया था? ASI ने सर्वे रिपोर्ट में बताया कि 18 अप्रैल 1669 को मुगल बादशाह औरंगजेब मंदिर को तोड़ने को लेकर फरमान जारी करता है. फरमान जारी करने के करीब 5 महीने बाद 2 सितंबर 1669 को मंदिर को तोड़ दिया जाता है.
शिलालेखों पर मिले हिंदू अवतारों के नाम
ASI ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में बताया है कि मस्जिद के पिलर हिंदू मंदिर के लगते हैं. 34 जगहों पर देवनागरी, कन्नड़, तेलुगु में लिखे शिलालेख मिले हैं. इनमें हिंदू अवतारों जनार्दना, रूद्र, उमेश्वरा नाम मिले हैं. इन्हीं में एक जगह महा मुक्ति मंडप शब्द भी अंकित है. इससे पता चलता है कि मंदिर के ही मलबे को मस्जिद बनाने के लिए इस्तेमाल गिया गया था. ASI ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में ये तक बताया है कि सर्वे के दौरान एक पत्थर भी मिला, जिसमें लिखा है कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने कहा था कि मंदिर तोड़ दी जाए. मंदिर के ही पिलर को मस्जिद बनाने में प्रयोग किया गया.
17वीं शताब्दी में तोड़ा गया था मंदिर
सर्वे के दौरान एक और पत्थर मिला था, वह आधा टूटा हुआ था. वह 1956 के आसपास ASI के रिकॉर्ड में भी था. इस पर लिखे शब्दों को मिटा दिया गया था. हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि ASI ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में ये बताया है कि मस्जिद की पश्चिमी दीवार पर बनी मूर्तियों की कलाकृतियां देखने के बाद ये साफ-साफ लगता है कि ये मस्जिद नहीं बल्कि हिंदू मंदिर का हिस्सा है. हिंदू मंदिर को 17वीं शताब्दी में तोड़कर मस्ज़िद का निर्माण किया गया.
विष्णु शंकर जैन ने कहा कि ASI ने बताया कि ज्ञानवापी मस्जिद में बने खंभे और दीवारों में लगे प्लास्टर पहले से मौजूद संरचना का हिस्सा थे. वर्तमान संरचना के पुनर्निर्माण के लिए प्लास्टर और स्तंभों सहित मंदिर के हिस्सों का पुन: उपयोग किया गया. मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार पश्चिम दिशा से था. मंदिर में एक बड़ा केंद्रीय कक्ष भी था. उत्तर, दक्षिण और पश्चिम कक्ष के अवशेष अभी भी मौजूद हैं. ASI ने कहा कि जो पहले का मौजूदा ढांचा था, उसे ही इस्तेमल किया गया. ASI को जीपीआर (ग्रांउट पेनेट्रेटिंग राडार) में एक चौड़ा कुआं भी मिला है.