भारत और इंग्लैंड के बीच खेले गए टेस्ट मैचों में सबसे कामयाब बैटर्स की लिस्ट में जब आप नजर डालेंगे तो एक अजीब समानता पाएंगे. भारत और इंग्लैंड में 2-2 बैटर ऐसे हुए हैं, जिन्होंने विरोधी टीमों के खिलाफ 100 से अधिक की औसत से रन बनाए, लेकिन उन्हें अगली सीरीज में मौका नहीं मिला. सबसे अधिक औसत की लिस्ट में पहला नाम इंग्लैंड के डेविड लॉयड का आता है. इस लिस्ट में दूसरा और चौथा नाम भारतीय बैटर्स का है. दूसरे नंबर पर काबिज बैटर तो टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक भी लगा चुके हैं. जबकि चौथे नंबर पर काबिज भारतीय बैटर के नाम लगातार दो दोहरे शतक हैं.
मेजबान भारत और इंग्लैंड (India vs England) के बीच खेले गए टेस्ट मैचों में सबसे अधिक रन सचिन तेंदुलकर के नाम हैं. उनके बाद जो रूट, सुनील गावस्कर और विराट कोहली का नाम आता है. लेकिन जब हम सबसे अधिक औसत की बात करते हैं, तो सचिन, गावस्कर, कोहली और रूट काफी पीछे छूट जाते हैं. इस लिस्ट में पहले नंबर पर डेविड लॉयड हैं. उनके बाद करुण नायर, थॉमस वर्थंगटन और विनोद कांबली आते हैं. पांचवें नंबर पर डगलस जॉर्डिन हैं.
303 रन की पारी के बाद खो गई चमक
सबसे पहले बात करते हैं करुण नायर (Karun Nair) की. कर्नाटक के इस बैटर ने 2016 में इंग्लैंड के खिलाफ डेब्यू किया. उन्होंने इस डेब्यू सीरीज में 3 टेस्ट मैच खेले. उन्होंने इन 3 टेस्ट मैच की 3 पारियों में एक बार नाबाद रहते हुए 320 रन बनाए. सीरीज में उनका सर्वोच्च स्कोर 303 (नाबाद) और औसत 160.00 रहा. करुण नायर ने इस सीरीज में 79.40 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए थे. करुण नायर अपनी इस फॉर्म को आगे कायम नहीं रख सके. करीब तीन महीने बाद जब उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन मैचों में मौका दिया गया, तो वे बुरी तरह नाकाम रहे. करुण ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 3 टेस्ट मैच की 4 पारियों में सिर्फ 54 रन बना सके. इसके बाद चयनकर्ताओं ने करुण नायर को टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया. करुण फिर कभी वापसी नहीं कर सके. इस तरह उनका करियर 6 टेस्ट मैच के बाद ही खत्म हो गया.
3 साल में थम गया कांबली का टेस्ट करियर
करुण नायर के साथ जो 2016 में हुआ, वह विनोद कांबली (Vinod Kambli) के साथ दो दशक पहले ही हो चुका था. विनोद कांबली ने 1993 में इंग्लैंड के खिलाफ ही डेब्यू किया. कांबली ने अपने टेस्ट करियर की धमाकेदार शुरुआत करते हुए इंग्लैंड के खिलाफ 3 टेस्ट मैच में 105.66 की औसत से 317 रन ठोक दिए. इसमें एक दोहरा शतक भी शामिल था. कांबली ने इंग्लैंड के बाद जिम्बाब्वे के खिलाफ भी दोहरा शतक लगाया. इसके बाद उन्होंने 1993 में ही श्रीलंका के खिलाफ दो शतक लगाए. लेकिन 1993 बीतने के साथ ही जैसे कांबली का ‘युग’ भी बीत गया. वे 1994 में सिर्फ दो अर्धशतक लगा सके. साल 1995 में न्यूजीलैंड के खिलाफ उन्होंने कटक में 28 रन बनाए. यह उनके टेस्ट करियर की आखिरी पारी साबित हुई. इसके बाद कांबली को कभी भी भारतीय टीम में शामिल नहीं गया. जाहिर है उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ दोबारा कभी खेलने का मौका नहीं मिला.