इसरो अंतरिक्ष की दुनिया में ऊंची उड़ान उड़ चुका है और नई उपलब्धि भी हासिल कर चुका है। देश की पहली सोलर ऑबजर्वेटरी आदित्य-एल1 लैंगरंग प्वाइंट एल1 सफलता के साथ स्थापित हो चुकी है। समय के साथ साथ इसरो विज्ञान और अंतरिक्ष की दुनिया में विकास कर रहा है। भारत में हाल ही में चंद्रयान-3 से लेकर आदित्य एल 1 मिशन की सफलता देखी है जिससे दुनिया के सामने भारत अंतरिक्ष की दुनिया में मजबूत स्तंभ के तौर पर खड़ा हुआ है।
आदित्य एल 1 मिशन भी सफलता से पूरा हुआ है, जो भारत की तरफ से सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला मिशन है। पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर लैंग्रेज पॉइंट 1 पर आदित्य एल 1 को स्थापित किया गया है। भारत ने इस मिशन को सफलता के साथ पूरा कर लिया है, जिसके बाद सूर्य को भारत भी नमस्कार करने में पहुंच गया है।
इसरो के इस प्रोजेक्ट की खासियत ये भी रही है कि महिला नेतृत्व में ये मिशन आगे बढ़ा है। ये महिला है निगार शादी जिन्होंने सूर्य मिशन की कमान को संभाला है। निगार की काबिलियत के दम पर इस समय दुनिया भर में चर्चा हो रही है। निगार वर्तमान में इसरो में प्रोजेक्ट डायरेक्टर के पद पर तैनात है। निगार व्यवहार में सौम्य हैं, जो मुस्कुराहट लेकर अपने चेहरे पर काम करती रहती है। आदित्य एल 1 मिशन को सफल बनाने के लिए निगार ने अपनी टीम के साथ एक या दो नहीं बल्कि पूरे आठ वर्षों तक कड़ी मेहनत की है।
जानें निगार शाजी के बारे में
निगार शाजी वर्ष 1987 में इसरो के साथ जुड़ी थी। निगार ने इसरो के साथ जुड़ने के साथ ही लगातार मेहनत की। वर्षों तक वो अपने मिशन में जुटी रही है। मेहनत करते हुए निगार को भारत का पहला सौर मिशन प्रोजेक्ट का निदेशक बनाया गया है। निगार की उम्र 59 वर्ष की है। मिशन की निदेशक बनने से पहले रिसोर्ससैट-2ए के सहयोगी प्रोजेक्ट की निदेशक थी। इसके अलावा निगार लोअर ऑर्बिट और प्लेनेटरी मिशन के लिए प्रोग्राम डायरेक्टर है।
बता दें कि निगार का जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ था, जो मूल रूप से तमिलनाडु के तेनकासी जिले के सेनगोट्टई का रहने वाला है। उनकी स्कूली शिक्षा सेनगोट्टई से ही हुई है। स्कूली पढ़ाई के बाद निगार ने मदुरै कामराज यूनिवर्सिटी के तहत तिरुनेलवेली के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लिया। इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लेकर उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। इंजीनियरिंग करने के बाद मास्टर डिग्री भी की। मेसरा स्थित बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से निगार ने इलेक्ट्रॉनिक्स में मास्टर डिग्री हासिल की।
पिता हैं पेशे से किसान
निगार के घर में हमेशा से ही पढ़ाई लिखा का माहौल रहा है। उनके पिता भी गणित में ग्रैजुएट थे। मगर इतनी पढ़ाई करने के बाद भी पेशे के तौर पर उन्होंने अपनी पहली पसंद खेती को ही चुना था। निगार को हमेशा उनके पिता से कुछ बड़ा और शानदार करने की प्रेरणा मिली है। निगार भले ही किसान की बेटी हों मगर उन्हें उनके पिता और माता से बचपन से ही पढ़ाई के लिए पूरा सहयोग मिला, जिस कारण वो इसरो की ऊंचाइयों तक पहुंचने में सफल हुई।
जानें निगार के परिवार के बारे में
निगार ने अपने परिवार के बारे में भी जानकारी साझा की है। निगार वर्तमान में अपनी मां और बेटी के साथ बैंगलोर में रहती है। उनके पति और उनका बेटा विदेश में काम करते है। परिवार के अलावा इसरो के साथियों और सीनियर अधिकारियों ने भी निगार को जीवन में आगे बढ़ने में काफी मदद की है। सभी के सहयोग के कारण ही निगार इस मुकाम तक पहुंच सकी है।