बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने हिंदी पट्टी के लोगों के बारे में द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) सांसद दयानिधि मारन के कथित बयान को लेकर रविवार को उनकी आलोचना की। मारन ने कथित तौर पर कहा था कि हिंदी पट्टी के लोग तमिलनाडु में शौचालय साफ कर रहे हैं और अन्य छोटे-मोटे काम कर रहे हैं। यादव ने कहा कि उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की तरह, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के नेतृत्व वाली द्रमुक भी ऐसी पार्टी है जो सामाजिक न्याय में विश्वास करती है और ऐसी पार्टी के नेता के लिए इस तरह की टिप्पणी करना अशोभनीय है। राजद नेता ने कहा, ‘‘अगर द्रमुक सांसद ने जातीय अन्याय को उजागर किया होता, अगर उन्होंने बताया होता कि केवल कुछ सामाजिक समूहों के लोग ही ऐसे खतरनाक काम करने के लिए मजबूर होते हैं, तो इसका कोई मतलब होता।’’यादव ने कहा, ‘‘लेकिन बिहार और उत्तर प्रदेश की पूरी आबादी के बारे में अपमानजनक बातें करना निंदनीय है। हम इसकी निंदा करते हैं। हमारा मानना है कि लोगों को देश के अन्य हिस्सों से आने वालों के प्रति सम्मानजनक व्यवहार करना चाहिए।’’ माना जाता है कि यादव के स्टालिन के साथ व्यक्तिगत संबंध अच्छे हैं। राजद नेता यादव ने कहा, ‘‘हम द्रमुक को एक ऐसी पार्टी के रूप में देखते हैं जो सामाजिक न्याय के हमारे आदर्श में यकीन करती है। इसके नेताओं को ऐसी बातें कहने से बचना चाहिए जो इस आदर्श के विपरीत हों।’’ मारन के तमिल में दिए हालिया भाषण को लेकर विवाद पैदा हो गया है, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री ने अंग्रेजी शिक्षा के महत्व पर जोर दिया था।
मारन ने दावा किया था कि जो लोग अंग्रेजी में दक्षता हासिल कर लेते हैं, उन्हें बिहार और उत्तर प्रदेश के निवासियों के विपरीत सूचना-प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र में सम्मानजनक नौकरियां मिल जाती हैं। उन्होंने कहा कि बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग केवल हिंदी जानते हैं एवं वे ‘‘शौचालयों और सड़कों की सफाई तथा निर्माण श्रमिक के रूप में’’ काम करने के लिए तमिलनाडु जैसे समृद्ध राज्यों में पहुंच जाते हैं।’’ बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन के सबसे बड़े घटक राजद और तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी द्रमुक विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का हिस्सा है। इसी बीच, बिहार के विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी मारन की आलोचना की तथा उसने उनसे तथा महागठबंधन से माफी मांगने की मांग की।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ दयानिधि मारन की टिप्पणियां बिहारी अस्मिता का अपमान हैं तथा इस बात का संकेत हैं कि वह सही मानसिक स्थिति में नहीं हैं। उन्हें माफी मांगनी चाहिए, अन्यथा भाजपा आंदोलन शुरू करेगी।’’ उन्होंने यह भी कहा, ‘‘ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड, राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस को भी इस मुद्दे पर सफाई देनी चाहिए। यदि ये राजनीतिक दल अपने सहयोगी मारन के भाषण की निंदा नहीं करते हैं , तो उन्हें बिहार के लोगों से माफी मांगनी चाहिए।
यादव ने कहा, ‘‘लेकिन बिहार और उत्तर प्रदेश की पूरी आबादी के बारे में अपमानजनक बातें करना निंदनीय है। हम इसकी निंदा करते हैं। हमारा मानना है कि लोगों को देश के अन्य हिस्सों से आने वालों के प्रति सम्मानजनक व्यवहार करना चाहिए।’’ माना जाता है कि यादव के स्टालिन के साथ व्यक्तिगत संबंध अच्छे हैं। राजद नेता यादव ने कहा, ‘‘हम द्रमुक को एक ऐसी पार्टी के रूप में देखते हैं जो सामाजिक न्याय के हमारे आदर्श में यकीन करती है। इसके नेताओं को ऐसी बातें कहने से बचना चाहिए जो इस आदर्श के विपरीत हों।’’ मारन के तमिल में दिए हालिया भाषण को लेकर विवाद पैदा हो गया है, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री ने अंग्रेजी शिक्षा के महत्व पर जोर दिया था।
मारन ने दावा किया था कि जो लोग अंग्रेजी में दक्षता हासिल कर लेते हैं, उन्हें बिहार और उत्तर प्रदेश के निवासियों के विपरीत सूचना-प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र में सम्मानजनक नौकरियां मिल जाती हैं। उन्होंने कहा कि बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग केवल हिंदी जानते हैं एवं वे ‘‘शौचालयों और सड़कों की सफाई तथा निर्माण श्रमिक के रूप में’’ काम करने के लिए तमिलनाडु जैसे समृद्ध राज्यों में पहुंच जाते हैं।’’ बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन के सबसे बड़े घटक राजद और तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी द्रमुक विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का हिस्सा है। इसी बीच, बिहार के विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी मारन की आलोचना की तथा उसने उनसे तथा महागठबंधन से माफी मांगने की मांग की।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ दयानिधि मारन की टिप्पणियां बिहारी अस्मिता का अपमान हैं तथा इस बात का संकेत हैं कि वह सही मानसिक स्थिति में नहीं हैं। उन्हें माफी मांगनी चाहिए, अन्यथा भाजपा आंदोलन शुरू करेगी।’’ उन्होंने यह भी कहा, ‘‘ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड, राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस को भी इस मुद्दे पर सफाई देनी चाहिए। यदि ये राजनीतिक दल अपने सहयोगी मारन के भाषण की निंदा नहीं करते हैं , तो उन्हें बिहार के लोगों से माफी मांगनी चाहिए।