उत्तर प्रदेश की सियासत में कांग्रेस दोबारा से खड़ी होने की जद्दोजहद में जुटी है. लोकसभा चुनाव की सियासी सरगर्मियों को देखते हुए कांग्रेस अपने खिसके जनाधार को दोबारा से जोड़ने के लिए सहारनपुर से सीतापुर तक की पदयात्रा बुधवार से शुरू कर रही है. कांग्रेस की ‘यूपी जोड़ो यात्रा’ सहारनपुर में मां शाकुंभरी मंदिर से शुरू होगी, जहां प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पूजा अर्चना करेंगे और उसके बाद पदयात्रा का आगाज करेंगे. यूपी जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस प्रतीकों के सहारे खुद को मजबूत करने की कवायद में है.
कांग्रेस की ‘यूपी जोड़ो यात्रा’ 18 दिनों तक चलेगी और इस दौरान 161 स्थानों पर नुक्कड़ सभांए आयोजित करेगी. यात्रा के रूट में पड़ने वाले विभिन्न स्थानों पर धार्मिक स्थलों और महापुरुषों की प्रतिमाओं पर प्रदेश अध्यक्ष पुष्प अर्पित कर सर्व धर्म समभाव का संदेश देने की कोशिश की जाएगी. ‘यूपी जोड़ो यात्रा’ का रोडमैप ऐसा बनाया गया है, जिसमें ज्यादातर इलाके पश्चिमी यूपी और रुहेलखंड के हैं. यह इलाका मुस्लिम बहुल और किसान बेल्ट मानी जाती है. ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस मुस्लिम वोटों के सहारे दोबारा से यूपी की सियासत में स्थापित होने की रणनीति पर काम कर रही है.
अजय राय ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभावते हुए पार्टी कार्यालय वैदिक मंत्रोच्चार और हर-हर महादेव के शंखनाद से गूंज उठा था, लेकिन अगले ही दिन उन्होंने मदरसे से लेकर कबीरमठ तक की यात्रा की. उन्होंने गुरुद्वारा में जाकर न सिर्फ सेवा की बल्कि चर्च में पहुंच कर पादरी से भी आशीर्वाद लिया. इसके बाद दिल्ली में मुस्लिम बहुल शाहीन बाग इलाके में मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ बड़ी बैठक कर यूपी में कांग्रेस को मजबूत करने की अपील की थी, क्योंकि दिल्ली के जमिया नगर इलाके में यूपी के बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं.इसी वजह से उन्होंने खासकर दिल्ली में यूपी के मुस्लिम नेताओं से मिले थे.
कांग्रेस ‘यूपी जोड़ो यात्रा’ में की शुरुआत के लिए सहारनपुर जिले का चयन करने के पीछे भी सियासी निहितार्थ हैं. यात्रा भले ही प्रसिद्ध शाकुंभरी देवी से शुरू हो रही हो, लेकिन दूसरे दिन गंगोह में सौहार्द व प्रेम का संदेश देने वाले बाबा हरिदास व हजरत कुतबे आलम का पवित्र स्थल पर भी जाकर अजय राय माथा टेकेंगे. यात्रा के दौरान चौधरी चरण सिंह चौक, अंबेडकर पार्क, गांधी चौक, पटेल पार्क सहित विभिन्न महापुरुषों के नाम से बने स्थलों पर नुक्कड़ सभा करने की योजना बनी है. खास बात यह है कि इन स्थलों पर मंच संचालन और अध्यक्षता संबंधित बिरादरी के वरिष्ठ लोगों को सौंपी गई है ताकि उनके जरिए उनके समुदाय के वोटबैंक को साधा जा सके.
उत्तर प्रदेश के 2022 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जिस तरह से करारी मात खानी पड़ी है, उसके बाद पार्टी ने अपना फोकस मुस्लिम समुदाय के वोटबैंक पर किया है. यही वजह है कि कांग्रेस ने यूपी जोड़ो यात्रा सहारनपुर से शुरू होकर बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, बरेली, रामपुर, शाहजहांपुर होते हुए 18 दिन बाद सीतापुर पहुंचेगी. इन सभी जिलों में मुस्लिम समुदाय के 25 से 45 फीसदी मुस्लिम वोटर्स है. कर्नाटक और तेलंगाना विधानसभा चुनाव में जिस तरह से मुस्लिम समुदाय का विश्वास कांग्रेस जीतने में सफल रही है, उसके चलते ही पार्टी को यूपी में मुस्लिमों को जोड़ने की उम्मीद जागी है. यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता बीजेपी की खामियों को उजागर करने के साथ-साथ मुस्लिम समुदाय से जुड़े मुद्दे को भी उठाएंगे ताकि दोबारा से उनका विश्वास हासिल कर सके.
यूपी जोड़ो यात्रा को रोडमैप
कांग्रेस की यूपी जोड़ो यात्रा 20 दिसंबर को सहारनपुर में शाकुभरी देवी के दर्शन से यात्रा शुरू होकर कुरेशान चौक पहुंचेगी. इसके बाद 21 को सहारनपुर के असगरया मदरसा से यात्रा शुरू गोपाली में रुकेगी. 22 को मुजफ्फरपुर के पुरकाजी से शुरू होकर बसेड़ा पहुंचेगी, 23 को बिजनौर और 24 को बिजनौर के नगीना से धामपुर, 25 को अमरोहा और मुरादाबाद पहुंचेगी. ऐसे ही 27 को रामपुर और 30 को रामपुर से बरेली की सीमा में प्रवेश करेगी. एक जनवरी को बरेली से शाहजहांपुर में दाखिल होगी. दो जनवरी को शाहजहांपुर होते हुए लखीमपुर पहुंचेगी. पांच जनवरी को सीतापुर में दाखिल होगी. सीतापुर के नेपालापुर से नैमिषारण्य में रात्रि विश्राम और सात जनवरी को सीतापुर से होते हुए लखनऊ पहुंचेगी.
कांग्रेस को यात्रा से क्या मिलेगा
कांग्रेस यूपी में बहुत ही मुश्किल दौर से गुजर रही है. कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता पार्टी छोड़कर दूसरे दलों में जा चुके हैं और जमीनी कार्यकर्ता भी नहीं रह गए हैं. उत्तर प्रदेश में कंग्रेस के महज दो विधायक है और एक सांसद खुद सोनिया गांधी है. प्रियंका गांधी 2022 के चुनाव के बाद से यूपी दौरे पर नहीं आई हैं जबकि प्रदेश की पार्टी प्रभारी है. कांग्रेस यूपी में पूरी तरह से वेंटीलेटर पर पड़ी हुई है. 2022 के चुनाव के बाद से कांग्रेस अपने दो प्रदेश अध्यक्ष बदल चुकी है. अजय कुमार लल्लू के बाद दलित समुदाय से आने वाले बृजलाल खाबरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था, पर वो भी कुछ खास करिश्मा निकाय चुनाव में नहीं दिखा सके. अब पार्टी की कमान अजय राय संभाल रहे हैं. कांग्रेस के यूपी में परंपरागत वोट बैंक रहे दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण तीनों ही दूर हो चुके हैं. ऐसे में 18 दिन की पश्चिमी यूपी यात्रा से कांग्रेस क्या हासिल कर पाएगी?