Shutdown करने से बेहतर है री-स्टार्ट, दोनों में क्या फर्क? सालों से कंप्यूटर चला रहे अनजान

Shutdown करने से बेहतर है री-स्टार्ट, दोनों में क्या फर्क? सालों से कंप्यूटर चला रहे अनजान

कंप्यूटर अथवा लैपटॉप अब आम हो गए हैं. हर घर में, हर दुकान में बिना कंप्यूटर अब काम चलना मुश्किल है. बच्चों की पढ़ाई से लेकर डिजाइनिंग और इंजीनियरिंग तक का काम कंप्यूटर के जरिये हो रहा है. ऑफिस हो या घर, काम करते हुए यदि कंप्यूटर या लैपटॉप धीमा चलने लगे तो बहुत गुस्सा आता है. कई बार तो लैपटॉप इतना ज्यादा हैंग होने लगता है कि उसे शटडाउन (Shutdown) करके ऑन करना पड़ता है. कभी-कभार हम इसे री-स्टार्ट (Restart) भी करते हैं. आप भी ऐसा ही करते होंगे, पर क्या आप जानते हैं कि कंप्यूटर शटडाउन या रि-स्टार्ट करने में क्या अंतर है? आपका पता नहीं, पर बहुत से लोगों को इसका अंतर पता नहीं. चलिए हम बताते हैं-

कंप्यूटर को शटडाउन करके फिर से ऑन करना या री-स्टार्ट करना एक जैसा नहीं है. दोनों में एक बड़ा अंतर है. नए लोगों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं होती, मगर जो लोग सालों से कंप्यूटर चला रहे हैं, वे भी इसके फर्क से अनभिज्ञ हैं. कंप्यूटर के टेक्निकल एक्सपर्ट तो यहां तक कहते हैं कि री-स्टार्ट करना, शटडाउन करके ऑन करने से बेहतर है.

शटडाउन करके ऑन करना VS री-स्टार्ट

अब बात करते हैं दोनों के फर्क की. पहले आपको शटडाउन के बारे में जानना चाहिए. आज से 11 साल पहले तक, जब तक कि विंडोज़ 8 नहीं थी, दोनों का फंक्शन एक ही था. मतलब आप री-स्टार्ट करें या फिर शटडाउन करके ऑन करें, दोनों का असर एक जैसा होता था. परंतु विंडोज 8 और 10 में ‘फास्ट स्टार्टअप’ नाम का एक फीचर दिया गया.

फास्ट स्टार्टअप फीचर का लाभ ये था कि शटडाउन करते समय कंप्यूटर में खुली सभी फाइलों और विंडोज को यह आसानी से बंद कर देता है. हालांकि यह एक महत्वपूर्ण ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज कर्नेल (Windows kernel) को पूरी तरह बंद नहीं करता है. इसे सीधे शब्दों में कहें तो आपको अपना लैपटॉप या कंप्यूटर बंद हुआ दिखता तो है, मगर पूरी तरह बंद हुआ नहीं होता. अगर सिस्टम के हार्डवेयर का सॉफ्टवेयर में कुछ प्रॉब्लम होती है तो शटडाउन करने से वह दूर नहीं होती, क्योंकिं एक प्रोग्राम चल रहा होता है.

इसके उलट, जब आप री-स्टार्ट करते हैं तो सारी ऐप्स या प्रोग्राम तो बंद होते ही हैं, इसके साथ ही विंडोज कर्नेल (Windows kernel) भी बंद हो जाता है और जब कंप्यूटर फिर से शुरू होता है तो सबकुछ नए सिरे से स्टार्ट होता है. हालांकि, यदि आपने अपने कंप्यूटर के फास्ट स्टार्टअप फीचर को ऑफ कर दिया है तो फिर शटडाउन और री-स्टार्ट एक जैसा काम करेंगे, जैसा कि विंडोज 8 से पहले करते थे.

कब करना चाहिए शटडाउन, क्या होते हैं फायदे

जब सिस्टम में कोई समस्या नजर आए तो आप शटडाउन ऑप्शन का इस्तेमाल कर सकते हैं.

यदि आप अपने सिस्टम (कंप्यूटर) को लंबे समय तक यूज नहीं करने वाले तो शटडाउन करना चाहिए.

शटडाउन करके रखने से आपके कंप्यूटर की बैटरी की खपत नहीं होती. यदि पावर बचाना चाहते हैं तो शटडाउन करें.

शटडाउन करके रखने से आपके सिस्टम में हैकिंग नहीं हो सकती. यदि आपको हैकिंग का डर है तो शटडाउन करें.

कब करना चाहिए री-स्टार्ट, क्या हैं फायदे

जब नए ड्राइवर या सॉफ्टवेयर डाले गए हों, तो Restart करना चाहिए.

जब आप कुछ अन-इंस्टॉल करके रिफ्रेश करना चाहते हैं तो री-स्टार्ट बेहतर विकल्प है.

कंप्यूटर को सफलतापूर्वक अपडेट करने के लिए आप री-स्टार्ट कर सकते हैं.

कंप्यूटर बार-बार हैंग हो रहा हो तो आपको री-स्टार्ट के लिए जाना चाहिए.

एक ही समस्या बार-बार आ रही है तो भी शटडाउन से बेहतर होगा कि आप री-स्टार्ट करें.

यदि नेटवर्क सही से नहीं मिल रहा तो आप री-स्टार्ट कर सकते हैं.

कितने दिनों में करें री-स्टार्ट

आईटी एक्सपर्ट सुझाव देते हैं कि आपको अपना कंप्यूटर 2-3 दिनों में एक बार री-स्टार्ट कर लेना चाहिए. यह विंडोज़ की फाइलों को क्लीन कर देता है, टंपरेरी फाइल्स को हटा देता है और यदि कुछ अपडेट होना है तो अपडेट कर देता है.

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