मधुरा भगवान श्री कृष्ण जन्म स्थान है. ये नगरी न सिर्फ भारत बल्कि विदेशों में भी जानी जाती है. अब इस शहर को एक बार फिर से पुराने रंग में रंगने की तैयारी की जा रही है ता कि यहां आने वाले लोगों को पुरानी संस्कृति, परंपरा और पुराने गौरव का अहसास हो सके. जिसके चलते अब यहां से अंग्रेजों के जमाने में लगाए गए पेड़ों को हटाया जाएगा.
जानकारी के मुताबित श्री कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा से अंग्रेजों द्वारा लगाए गए कीकड़ जैसे पेड़ों को हटाकर कदम्ब, पीलू, तमाल, बरगद ,पाकड, मोलश्री ,खिरानी ,अर्जुन पलास जैसे पेड़ों को लगाया जाएगा, दरअसल ये पेड़ श्रीकृष्ण के पसंदीदा पेड़ माने जाते हैं, यही वजह है कि अब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक बार फिर से इसे पुराने कलेवर में सजाने की योजना बनाई है.
मथुरा में लगेंगे श्रीकृष्ण के पसंदीदा पेड़
उत्तर प्रदेश सरकार ने मथुरा और उसके आसपास के ब्रज क्षेत्र में पौराणिक 12 वनों को फिर से धार्मिक परंपराओं के आधार पर सजाने की योजना बनाई है. सरकार ने इस योजना के लिए सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मांगी थी. कोर्ट से सरकार की इस मांग को हरी झंडी मिल गई है, जिसके बाद इन पेड़ों को लगाने का रास्ता साफ हो गया है. यूपी सरकार वन पुनर्जन्म के योजना के तहत श्रीकृष्ण के पसंदीदा पेड़ों को बड़े पैमाने में लगाने जा रही है. यूपी सरकार ने अपनी इस योजना को प्राचीन वन क्षेत्र पुनर्जन्म योजना का नाम दिया है.
कदम्ब जैसे पेड़ लगाएगी यूपी सरकार
यूपी सरकार का कहना है कि वो इस क्षेत्र में भगवान कृष्ण की पसंद वाले कदम्ब जैसे पेड़ लगाना चाहती है, सरकार का कहना है कि जिस तरह से ब्रज भूमि परिक्रमा क्षेत्र का हिंदू धार्मिक ग्रंथों में वर्णन किया गया है, उसी तरह से पुरानी प्रजाती के वनों के जरिए धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को सरकार सजाना चाहती है.
दूर-दराज से आते हैं श्रद्धालु
आपको बता दें कि मथुरा में दूर दराज से श्रद्धालु भगवान कृष्ण के बांके बिहारी मदिंर के दर्शन करने आते हैं. मथुरा की धरती पर ही भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था. देश भर के लोगों में इस जगह के लिए बेहद आस्था है. कृष्ण जन्मोत्सव और होली जैसे त्योहारों को यहां बेहद धूमधाम से मनाया जाता है. जिसमें भारी तादाद में लोग शामिल होते हैं. सिर्फ श्रद्धालु ही नहीं बल्कि यहां विदेशी पर्यटक भी बड़े पैमाने पर आते हैं.