अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कार्य के बीच जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि जो मस्जिद मंदिर तोड़कर बनाई जाए वह हमें स्वीकार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भी साबित हो गया था कि अयोध्या में मंदिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई गई थी लेकिन अब मस्जिद तोड़कर मंदिर बनाया जा रहा है. उन्होंने आगे कहा कि आस्था की बुनियाद पर यह फैसला दिया गया था.
जमीयत उलेमा की बैठक में पहुंचे अरशद मदनी ने कहा कि अब तक लोग बाबर को कहा करते थे कि उसने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई थी लेकिन अब लोग इन लोगों को कहेंगे. उनका कहना है कि हम लोग अयोध्या में खुश है. हम पिछले 50 सालों से लड़ रहे थे और कोर्ट ने भी माना कि यहां पर मंदिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई गई थी. हमें भी मंदिर तोड़कर बनाई गई मस्जिद कबूल नहीं है.
हिंदुस्तान से ही हो रही फंडिंगः मदनी
मदरसों की जांच पर अरशद मदनी ने कहा कि जो मदरसे सरकारी पैसा खा रहे हैं उनकी जांच हो रही है. अगर कहीं से भी विदेश से फंडिंग हो रही है, तो इसका सबूत दिया जाना चाहिए. हमारे हिंदुस्तान में पैसे की कोई कमी नहीं है और सारी फंडिंग यहीं से हो रही है. हलाल प्रोडक्ट पर मदनी ने कहा कि यूपी में एक भी हलाल सर्टीफाइड मरकज नहीं है. अगर कहीं पर है तो हमें बताएं.
राजनीति में आने के सवाल पर मदनी ने कहा कि देश की आजादी के बाद हमने यह तय किया था कि सियासत में शामिल होना हमारा लक्ष्य नहीं है. जमीयत का मकसद देश को गुलामी से बचाना था. हम यहां मुल्क और मुसलमान के मसले के साथ-साथ किस तरह देश को सांप्रदायिकता से बचाया जाए, हम इसके लिए काम करते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि मुल्क के अंदर ये मुल्क की बदकिस्मती है कि फिरकापरस्ती का नजरिया आजादी के बाद पैदा हुआ और तेजी से बढ़ता चला जा रहा है. जबकि आजादी से पहले देश का ऐसा नजरिया नहीं था.
हमारा पैगाम प्यार मोहब्बत वालाः मदनी
देश में सांप्रदायिकता को लेकर आगाह करते हुए मदनी ने कहा कि सांप्रदायिकता फैलाने वाली ताकतें देश में सब कुछ बर्बाद करने में लगी हैं. आप दुनिया में कहीं भी जाए और देखें कि लोग किस तरह से रहते हैं. हमारे देश में हर जगह एक ही सूरत के लोग रहते हैं. आप कहीं भी चले जाएं भारत में हर राज्य के लोग एक ही जैसे हैं. सांप्रदायिक शक्तियां देश की जड़ों को खोखला करने में लगी हैं.
सांप्रदायिक सद्भावना बनाए रखने की बात करते हुए मदनी ने कहा, “हम कहते थे कि जब पिछले 1300 सालों से हम हिंदू-मुस्लिम एक साथ यहां पर रहते आए हैं तो अब कौन सी ऐसी बात हो गई कि हम यहां से अलग हो जाएं. हमारे पूर्वज इसी देश में रहे और यहीं पर दफन हो गए. हमने तय किया है कि मुल्क नफरत और दुश्मनी से नहीं चलेगा.” उन्होंने आगे कहा कि हमारी इस बैठक का पैगाम प्यार मोहब्बत और आपसी भाईचारा बनाए रखने का है. हमारा कोई राजनीतिक मैसेज नहीं है. ना ही हम चुनाव लड़ते हैं और ना चुनाव लड़वाते हैं.