उत्तर प्रदेश के कानपुर में शिक्षा विभाग की लापरवाही एक बार फिर सामने आई है. यहां एक तरफ सर्दी अपने चरम पर पहुंच गई है, वहीं दूसरी ओर अब तक शिक्षा विभाग 8000 से अधिक स्कूली बच्चों को स्वेटर तक नहीं दे पाया है. यहां तक कि बच्चों को जूते मोजे भी अब तक वितरित नहीं हुए हैं. ऐसे हालात में ये बच्चे रोज ठिठुरते हुए स्कूल आने को विवश हैं. अधिकारियों का कहना है कि यह स्थिति बच्चों या उनके माता पिता के आधार कार्ड नहीं होने की वजह से बनी है.
इसी आधार कार्ड की आड़ में शिक्षा विभाग के अधिकारी बच्चों और उनके अभिभावकों पर ठिकड़ा फोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. अब गलती चाहे जिसकी हो, सरकार की योजना और दावे पर सवालिया निशान तो लग ही गए हैं. कानपुर में बेसिक शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक करीब करीब 8000 बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें अब तक स्वेटर व जूते मोजे नहीं मिले हैं. कायदे से इन बच्चों को डीबीटी के माध्यम से स्वेटर और जूते मोजे खरीदने के पैसे आवंटित होने चाहिए थे.
अधिकारियों का कहना है कि बड़ी संख्या में बच्चों के आधार कार्ड ही नहीं बने हैं. वहीं कुछेक बच्चों के माता पिता के भी आधार कार्ड नहीं हैं. यही नहीं, ज्यादातर बच्चों का बैंक एकाउंट भी नहीं है. ऐसे हालात में इन बच्चों को डीबीटी योजना का लाभ नहीं मिल सका है. अधिकारियों के मुताबिक सभी बच्चों और उनके अभिभावकों को पहले ही इस योजना की जानकारी देते हुए संबंधित दस्तावेज पूरे कराने के लिए कह दिया गया था.
रिपोर्ट के मुताबिक अभी भी 8163 छात्रों के दस्तावेज अधूरे हैं. इनमें से 6077 छात्रों के माता-पिता के पास भी आधार कार्ड नहीं हैं. वहीं 2086 छात्र ऐसे हैं जिनके माता-पिता के बैंक खाते आधार से लिंक नहीं है. बेसिक शिक्षा अधिकारी सुरजीत कुमार के मुताबिक परिषदीय स्कूलों में पढ़ने आने वाले ज्यादातर छात्रों के आधार कार्ड बन गए थे लेकिन माध्यमिक विद्यालयों और मदरसे के कई छात्रों के आधार कार्ड नहीं बन पाए, जिसकी वजह से उन्हें डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.