चेहरे भी वही थे और मंच भी, लेकिन सुर और ताल बदल गए थे. मंगलवार को लखनऊ में जो हुआ उसे तो विपक्ष के लिए मंगल ही समझा जाएगा. एक मीटिंग समाजवादी पार्टी ऑफिस में हुई. दूसरी मीटिंग कांग्रेस ऑफिस में. वक्त वक्त की बात है. चुनावी नतीजे आने से पहले दोनों तरफ से देख लेने की चुनौती दी जा रही थी. इस देखा देखी में दोनों डूब गए.
समाजवादी पार्टी का खाता तक नहीं खुला, जबकि अखिलेश यादव और उनकी सांसद पत्नी डिंपल ने धुआंधार प्रचार किया. अखिलेश-वखिलेश करने वाले कमलनाथ तो अब राजनीति में अनाथ हो गए. मन ही मन में कमलनाथ अपने को मुख्यमंत्री मान चुके थे. बस शपथ लेना ही बाकी था.
दुख ने दुख से बात की, बिन चिट्ठी बिन तार. तो हार के दुख में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी करीब आने लगे हैं. दोनों कैंप में भाव कुछ ऐसा है कि जो हुआ सो हुआ, अब कुछ मीठा हो जाए. कांग्रेस हाईकमान ने इंडिया गठबंधन की बैठक की तारीख आगे बढ़ा दी है. तय हुआ है कि पहले होमवर्क कर लिया जाए. अखिलेश ने 6 दिसंबर की मीटिंग में जाने से इनकार कर दिया था. कांग्रेस नेतृत्व ने उनके इस फैसले का मान रखा. अखिलेश यादव की तरफ से भी कहा गया है कि अगली बैठक में वे मौजूद रहेंगे. इंडिया गठबंधन की बैठक आगे जब भी हो, अखिलेश यादव गठबंधन की तीनों बैठकों में मौजूद रहे हैं.
एमपी में सीट बंटवारे पर कांग्रेस-सपा में ठनी थी
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लखनऊ में रहते हैं, तो पार्टी ऑफिस जरूर जाते हैं. मंगलवार को भी कुछ ऐसा ही हुआ. उनके समाजवादी पार्टी ऑफिस पहुंचते ही उनकी टीम भी तुरंत पहुंच जाती है. टीम का मतलब पार्टी में अखिलेश यादव के करीबी लोग. वैसे तो कोई मीटिंग पहले से तय नहीं थी, लेकिन जब पार्टी के नेता मिल गए तो चर्चा शुरू हो गई.
अपने करीबी लोगों के सामने अखिलेश यादव ने बड़ी बात कह दी, जिसके बारे में पार्टी ऑफिस में मौजूद नेताओं ने सोचा भी नहीं था. अखिलेश यादव ने कहा कि यूपी में हम सभी अस्सी सीटें गठबंधन में लड़ेंगे. हम मिलकर बीजेपी को हराने का काम करेंगे. इंडिया जीतेगा. महीने भर से कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेता एक दूसरे को गाली दे रहे थे. एमपी में सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों में ठनी हुई थी.
यूपी में बीजेपी को रोकने के लिए कांग्रेस-सपा का प्लान
अखिलेश यादव के बदलते मन से कांग्रेस कैंप में जान आई है. लखनऊ में पार्टी ऑफिस में मंगलवार को कांग्रेस की नई प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक हुई. प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि हम मिलकर ही बीजेपी के रोक सकते हैं. अगर हमने इन्हें यूपी में रोक लिया तो फिर देश की राजनीति बदल सकती है. यही अजय राय कुछ हफ्ते पहले अखिलेश यादव को आजमगढ़ की हार याद दिलाते थे, पर तीन राज्यों में कांग्रेस की हार ने सबको एक लाइन में खड़ा कर दिया है.
यहीं से रिश्तों में नई शुरुआत की आहट सुनाई पड़ने लगी है. वो भी दोनों तरफ से. कांग्रेस से भी और समाजवादी पार्टी से भी. अकेले चुनाव लड़ने का दम भरने वाली कांग्रेस और समाजवादी पार्टी अब हम साथ हैं का फील दे रही है. अखिलेश यादव ने तो मायावती का चैप्टर भी क्लोज कर दिया. उन्होंने कहा कि गठबंधन में जो दल हैं, वही रहेंगे.