बुधवार को होने वाली विपक्षी इंडिया ब्लॉक की बैठक शीर्ष नेताओं के शामिल न होने के फैसले के बाद स्थगित कर दी गई। कांग्रेस की ओर से यह बैठक बुलाई गई थी। दरअसल, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के सीएम नीतीश कुमार और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने इस बैठक में शामिल होने में असमर्थता जताई थी। ममता बनर्जी ने सबसे पहले इसमें महीं शामिल होने की बात कही थी। इसके बाद नीतीश कुमार और अखिलेश यादव ने भी अपनी असमर्थता जता दी। विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक के नेता 2024 के लोकसभा चुनावों की रणनीति तैयार करने के लिए 6 दिसंबर को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर बैठक करने वाले हैं।
माना जा रहा है कि कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन की बैठक को बुलाने का एक तरफा फैसला लिया। कांग्रेस की ओर से इसको लेकर किसी भी सहयोगी दलों से राय नहीं ली गई। यही कारण है कि इन नेताओं ने इस बैठक से दूरी बनाई। इसके अलावा कांग्रेस की ओर से यह बैठक ऐसे समय में बुलाई गई, जब तीन बड़े राज्य मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में उसे हार का सामना करना पड़ा। इंडिया गठबंधन के कई दलों का कहना है कि कांग्रेस ने इन चुनाव में हमारी नहीं सुनी। हमें अपमानित करने की कोशिश की गई। इन चुनाव के दौरान अपने सहयोगी दलों का भी कांग्रेस की ओर से साथ नहीं लिया गया। यही कारण है कि इंडिया गठबंधन के नेताओं में नाराज की बढ़ गई है। कुछ तो इसे कांग्रेस का अहंकार बता रहे हैं।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने सोमवार को दावा किया कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनावों के नतीजे हिंदी पट्टी में जबरदस्त कांग्रेस विरोधी भावना को दर्शाते हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रमुख सहयोगियों ने ‘इंडिया’ गठबंधन के नेतृत्व के लिए जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के सुप्रीमो जैसे ‘‘विश्वसनीय चेहरे’’ पर जोर दिया। इस आशय के बयान बिहार के मंत्रियों और जदयू के वरिष्ठ नेताओं-- विजय कुमार चौधरी और अशोक चौधरी की ओर से आए हैं। जदयू के दोनों नेताओं ने पत्रकारों से अलग-अलग बातचीत के दौरान ‘इंडिया’ गठबंधन में कांग्रेस को ‘बड़े भाई’ के रूप में स्वीकार किया है लेकिन उसे एक बड़ा दिल ‘दिखाने’ के लिए कहा।