New Delhi: महिला अग्निवीरों की शिरकत से और सशक्त हुई भारतीय नौसेना

New Delhi: महिला अग्निवीरों की शिरकत से और सशक्त हुई भारतीय नौसेना

नौसेना बलों की उपलब्धियां और राष्ट्र में उनके योगदान का वर्णन जितना किया जाए, उतना कम होगा। इसलिए भारत में ही नहीं, पूरे वर्ल्ड में हमारी नौसेना की वाहवाही होती है। इसलिए क्योंकि वह दिनों दिन अपने नए-नए प्रयोगों से नित नई ऊंचाइयां छू रही है। इस कड़ी में अब एक और नया अध्याय जुड़ गया है। नौसेना में आधी आबादी ने दस्तक दे दी है। इसी सीजन में एक हजार ‘अग्निवीर महिला सैनिक’ नौसेना में शामिल हुई हैं जिससे इस टुकडी की न सिर्फ ताकत बढ़ी, बल्कि उनके अनुशासन कार्यान्वयन में भी क्रांतिकारी परिवर्तन आना शुरू हुआ। आज‘नौसेना दिवस’है इस बार ये दिन इसलिए भी खास है क्योंकि इसमें अब महिलाओं की भी सहभागिता सुनिश्चित हो गई है। नौसेना में पहली मर्तबा ‘नौसेनिक पोत’ पर महिला कमांडिंग अधिकारी को नियुक्त किया गया। सरकार का ये कदम निश्चित रूप से अकल्पनीय और सराहनीय है। महिला सशक्तिकरण में भारत ने एक और कदम आगे बढ़ा दिया है।

बहरहाल, आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण और जलीय निगरानी तंत्र में स्वदेशी जहाज, पनडुब्बी, आईएनएस विक्रांत, जलीय विमान, यूएवी यानी मानव रहित हवाई वाहन, हमारी नौसेना की ताकत हैं। उनकी सुरक्षा अभेद है। पलक झपकते ही दुश्मन को पानी में डुबोने की हिम्मत रखती है। नौसेना के इतिहास और आज के खास दिवस की बात करें, तो उसका एक सुनहरा युग हमने व्यतीत किया है। सन् 1971 के इंडो-पाक युद्ध के दौरान ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ के शुरू होने कीं याद में हमारी सेना प्रत्येक वर्ष 4 दिसंबर को ‘नौसेना दिवस’ का पर्व मनाती है। इंडियन नेवी की पूर्ण स्थापना की जहां तक बात है तो श्रीगणेश 1612 में हुआ। जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने ‘रायल इंडियन नेवी’ नाम से अपनी सेना बनाई थी। उस वक्त ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने कमर्शियल शिपों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर इस सैन्य का गठन किया था। पर, आजादी मिलने के बाद स्वतंत्र व्यवस्था ने 1950 में भारतीय नौसेना के रूप में पुनर्गठित कर दिया।

नेवी डे समुद्री सीमाओं को सुरक्षित सहजने और जलीय ऑपरेशन व मिशनों को मुकम्मल करने के तौर पर भी याद किया जाता है। बंदरगाह की यात्राओं, विभिन्न देशों की नौसेनाओं के साथ संयुक्त अभ्यास, परोपकारी मिशनों, समुद्री किनारों को सुरक्षा देना और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को बनाए रखने की जिम्मेदारी भी इन्हीं कंधों पर होती है। नौसेना की अकल्पनीय भूमिका पर तो चर्चाएं होती ही है, उनकी देश भक्त निष्ठा जनमानस को सेना के प्रति आदर-सम्मान करना भी सिखाती है। देश का कोई ऐसा शख्स नहीं जिसे अपनी सेना पर गर्व न होता हो। नौसेना भारतीय सशस्त्र बलों की समुद्री प्रभाग है, जिसमें राष्ट्रपति कमांडर-इन-चीफ के रूप में कार्य करता है। 

बहरहाल, नौसेना के समझ इस वक्त कुछ चुनौतियां खड़ी हुई है। वो चुनौती चीन दे रहा है। दरअसल, चीन हमारे समुद्री क्षेत्र में घुसपैठ करने की फिराक में कई समय से घात लगाए बैठा हुआ है। ये सच है कि सेना से वास्ता रखने वाली ज्यादातर सूचनाएं सार्वजनिक नहीं की जाती, इसलिए कि इंटरनल सुरक्षा का ख्याल रखा जाता है। फिर भी अगर कोई सूचना सेना द्वारा देशवासियों को दी जाए, तो समझ लेना चाहिए, मामला गंभीर है। नौसेना को सूचना मिली है कि हिंद प्रशांत में चीन कभी भी कोई बड़ी गड़बड़ी कर सकता है। ये बात पिछले ही सप्ताह खुद नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने बताई। मसला वास्तव में गंभीर है, हल्के में नहीं लिया जा सकता। चीन हिंद महासागर में अपनी सैन्य शक्तियों के माध्यम से भारतीय जलीय परिक्षेत्र में आक्रमण करने के मूड में है। हालांकि, कुछ एशिया देशों ने तो घुटने टेक भी दिए हैं। पाकिस्तान के जल क्षेत्र में वो खुलकर मनमानी कर रहा है। लेकिन उसकी भारतीय क्षेत्र में हिम्मत नहीं हो रही। उनको पता है भारतीय नौसेना उनका बुरा हाल कर देगी।

भारतीय नौसेना दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी नौसेना मानी जाती है। इसलिए चाइना इंडियन नौसेना की ताकत को अच्छे से जानता-समझता है। जलीय महासागरों का इस्तेमाल किसी भी राष्ट्र की वैध आर्थिक आकांक्षाओं के लिए होता है। इस लिहाज से देखें तो चीन के पास आर्थिक गतिविधियों के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में मौजूद रहने का एक वैध कारण है। पर, हिंद महासागर क्षेत्र में क्षेत्रीय नौसैनिक शक्ति के रूप में, वहां क्या हो रहा है, इस पर भारतीय नौसेना अगर नजर रखती है तो चीन चिड़ता है। वो चाहता, उसकी कोई पहरेदारी न करे, समुंद्री संपदा पर दंबगई से राज करता रहे। पाकिस्तान, ताइबान, नेपाल आदि मुल्क शांत रहते हैं, वैसी ही उम्मीद चीन भारत से करता है। लेकिन, भारतीय नौसैनिक हमेशा चौकन्नी रहती है। चीन भी जानता है कि उनकी छोटी सी भूल पर ही भारतीय सैनिक उनको नेस्तनाबूद कर देंगे। इसलिए चीन फूंक-फूंक कर कदम रखता है।

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