भारतीय टीम को तीन टी20I, तीन वनडे और दो टेस्ट की सीरीज के लिए इसी माह दक्षिण अफ्रीका के दौरे (Team india’s South Africa Tour) पर रवाना होना है. दोनों टीमों के बीच अब तक 42 टेस्ट खेले गए हैं जिसमें भारत ने 15 में जीत हासिल की है जबकि 17 में उसे हार का सामना करना पड़ा है. हालांकि दक्षिण अफ्रीकी मैदान पर भारत का टेस्ट रिकॉर्ड बेहद खराब है और टीम वहां खेले गए 23 टेस्ट में से महज 3 में ही जीत हासिल कर पाई है. 12 टेस्ट में भारतीय टीम को हार मिली है जबकि सात ड्रॉ रहे हैं.भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच के क्रिकेट रिश्ते वैसे तो सौहार्दपूर्ण रहे हैं लेकिन वर्ष 2001 में इसमें बड़ा ‘भूचाल’ आया था. इसे क्रिकेट जगत में ‘माइक डेनेस विवाद’ के नाम से जाना जाता है.
वर्ष 2001 में दक्षिण अफ्रीका दौरे में भारतीय टीम के छह प्लेयर्स पर बॉल टेम्परिंग सहित कई आरोप लगे थे. दूसरे टेस्ट मैच में इंग्लैंड टीम के पूर्व कप्तान और उस मैच के रैफरी माइक डेनेस (Mike Denness) ने भारतीय टीम के लगभग आधे प्लेयर्स पर खेलने से प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि बाद में विवाद को बढ़ता देख ज्यादातर प्रतिबंध हटा दिए गए और मामले का सुखद पटाक्षेप हो गया था.
इस टेस्ट के दौरान जिन प्लेयर्स को मैच रैफरी की कार्रवाई का सामना करना पड़ा था उनमें सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) और टीम के तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली (Sourav Ganguly)शामिल थे. सचिन को बॉल टेम्परिंग के आरोप में एक टेस्ट से बैन (सस्पेंडेंड बैन) की सिफारिश की गई थी जबकि वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag)अधिक अपील के लिए एक टेस्ट से बैन किए गए थे. सचिन पर तो यह आरोप लगा कि गेंदबाजी करने के दौरान उन्होंने गेंद की सीम को नाखून से खरोचा है. भारतीय टीम को नियंत्रित करने में कथित नाकामी के कारण एक टेस्ट और दो वनडे का सस्पेंडेड बैन थोपा गया था.जरूरत से ज्यादा अपील के लिए हरभजन सिंह, शिवसुंदर दास और दीप दासगुप्ता पर भी एक-एक मैच का सस्पेंडेंड बैन लगाया गया था.
जाहिर है, बेवजह की इस कार्रवाई पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की ओर से जोरदार प्रतिक्रिया होनी थी और ऐसा हुआ भी. भारतीय टीम ने इस मामले में ‘आर या पार’ की लड़ाई का मन बना लिया था. वह दौरे के शेष मैचों का बायकॉट करने पर आमादा थी. इस घटना के विरोध में भारत में कई स्थानों पर डेनेस के पुतले भी जलाए गए. इस विवाद से दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट बोर्ड के हाथ-पैर फूल गए. सीरीज कैंसल होने का सीधा मतलब था कि उसे बेहद तगड़ा आर्थिक नुकसान होता.
मामले में आईसीसी (ICC)और डेनिस एमिस के अड़ियल रुख को भांपते हुए उसने सीधे बीसीसीआई से बातचीत शुरू की.बीसीसीआई को इस बात के लिए रजामंद किया गया कि दक्षिण अफ्रीका बोर्ड, डेनेस को हटाकर नया मैच रैफरी लाएगा और मैच कराएगा. बीसीसीआई ने इस पर रजामंदी जताई लेकिन आईसीसी ने इस स्थिति में तीसरे टेस्ट को आधिकारिक दर्जा देने से इनकार कर दिया. इसके चलते सेंचुरियन में हुए तीसरे टेस्ट को आधिकारिक दर्जा नहीं मिला था. माइक डेनेस के स्थान पर डेनिस लिनसे ने इसमें मैच रैफरी की जिम्मेदारी निभाई थी.