रविवार को राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों में भाजपा की शानदार जीत के साथ, पार्टी के राजनीतिक परिदृश्य में काफी विस्तार हुआ है। पार्टी अब भारत के 28 राज्यों में से 12 में शासन में है। कांग्रेस पार्टी के पास केवल तीन राज्य बचे हैं - तेलंगाना, जहां उसने रविवार को बीआरएस हटाकर जीत हासिल की है वहीं पहले से कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश उसके पास है। इसके अलावा, भाजपा चार राज्यों - महाराष्ट्र, नागालैंड, सिक्किम और मेघालय में सत्तारूढ़ गठबंधन में है।
दिसंबर 2023 तक, भाजपा शासित क्षेत्रों में 57 प्रतिशत आबादी के साथ भारत का 58 प्रतिशत भूभाग है। इस बीच, कांग्रेस शासित राज्य, 43 प्रतिशत आबादी के साथ देश के 41 प्रतिशत भूमि क्षेत्र को कवर करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में भाजपा के राजनीतिक मानचित्र और राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में उसके शानदार प्रदर्शन ने 2024 के आम चुनावों के लिए मंच तैयार कर दिया है। भाजपा, जो केंद्र में शासन करती है, उत्तराखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, गोवा, असम, त्रिपुरा, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में सत्ता में है, और मध्य प्रदेश को बरकरार रखने और राजस्थान और छत्तीसगढ़ को कांग्रेस से छीनने में सफल रही।
सबसे पुरानी पार्टी बिहार और झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन का भी हिस्सा है और द्रमुक की सहयोगी है, जो तमिलनाडु में सत्ता में है। हालाँकि, कांग्रेस तमिलनाडु सरकार का हिस्सा नहीं है। रविवार के चुनाव नतीजों ने एक प्रमुख राजनीतिक दल के रूप में आप की स्थिति को भी मजबूत कर दिया, जिससे यह दो राज्यों में सरकारों के साथ दूसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बन गई। आप नेता जैस्मीन शाह ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, आज के परिणामों के बाद, आम आदमी पार्टी दो राज्य सरकारों - पंजाब और दिल्ली के साथ उत्तर भारत में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के रूप में उभरी है।
वर्तमान में भारत में छह राष्ट्रीय दल - भाजपा, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और आप हैं। विधानसभा चुनाव का अगला दौर 2024 में होगा जब सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में चुनाव होंगे। जम्मू-कश्मीर में भी विधानसभा चुनाव लंबित हैं। चूंकि इस दौर में कई मौजूदा सांसदों ने विधानसभा चुनाव लड़ा है, इसलिए लोकसभा की उन सीट के खाली होने की उम्मीद है। हालांकि, चूंकि आम चुनाव अगले साल होने हैं, इसलिए विधायक के रूप में चुने जाने पर सांसदों के सीट खाली करने पर भी कोई उपचुनाव नहीं होगा।