UP: ठेले पर बिरयानी बेचने वाला नफीस कैसे बन गया अतीक अहमद का सबसे बड़ा फाइनेंसर?

UP: ठेले पर बिरयानी बेचने वाला नफीस कैसे बन गया अतीक अहमद का सबसे बड़ा फाइनेंसर?

प्रयागराज पुलिस ने उमेश पाल हत्याकांड के जिस आरोपी नफीस बिरयानी को बीती रात मुठभेड़ में गिरफ्तार किया है, उसकी माफिया अतीक अहमद की सरपरस्ती में फर्श से अर्श तक पहुंचने की कहानी किसी हिंदी फिल्म की स्क्रिप्ट लगती है. प्रयागराज के खुल्लाबाद का रहने वाला मोहम्मद नसीम कुछ साल पहले करेली में ठेले में बिरयानी बेचता था. नफीस को करीब से जानने वाले बताते हैं कि 2005 में वह बेहद तंगी के दौर से गुजर रहा था, तब करेली में उसने ठेले पर उसने बिरयानी बेचना शुरू किया. लेकिन तंगहाली के दिनों में उसके स्कूल के साथी रहे माफिया अतीक अहमद के भाई अशरफ ने उसका साथ दिया.

अशरफ को नफीस के अंदर अपनी अकूत की काली संपत्ति को धंधे में लगाने वाला एक बड़ा कारोबारी नजर आया. लिहाजा उसने नफीस की न सिर्फ रुपयों से मदद की, बल्कि अपने बड़े भाई अतीक अहमद के कब्जे वाली नवाब यूसुफ रोड स्थित जमीन को नफीस के कारखाने के लिए दे दिया. इसके बाद नफीस ने एमजी मार्ग पर पैलेस सिनेमाहाल के पास बिरयानी की दुकान खोली. दुकान चल पड़ी और देखते ही देखते वह नफीस बिरयानी के नाम से जाना जाने लगा. अशरफ और उसके गुर्गे अक्सर उसकी दुकान पर बिरयानी खाने पहुंचते थे.

प्रयागराज में ईट ऑन नाम से बिरयानी शॉप

नफीस ने अपनी बिरयानी की दुकान का नाम ईट-ऑन रखा. ईट ऑन बिरयानी शॉप से उसे रोज दो से तीन लाख की आमदनी होने लगी. कारोबार और तेजी से बढ़ा तो उसने ईट ऑन वन बिरयानी की चेन भी कई शहरों में खोल दी. इस दौरान सिविल लाइंस की उसकी रिटर्न शॉप को प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने गैरकानूनी होने की वजह से बुलडोजर से जमीदोंज कर दिया है.

10 से 15 लाख की प्रतिदिन की कमाई

नफीस ने बिरयानी की एक बड़ी शॉप शहर के बॉयज हाईस्कूल के ठीक सामने डाली, जिससे तकरीबन 10 से 15 लख रुपए रोज की कमाई थी. नफीस को बिरयानी ने बुलंदी तक पहुंचा दिया. उसका धंधा ऐसा चमका की कई शहरों में उसने इस नाम से फ्रेंचाइजी दे डाली. इसके बाद वह अतीक गैंग का बड़ा फाइनेंसर बन गया. अशरफ के साथ जमीन और फ्लैट्स के कारोबार में उसने रुपए लगाना शुरू किया. वह अतीक की गैंग का सबसे अहम सदस्य बन गया.

शहर मंसूर अली पार्क में एनआरसी और सीएए के आंदोलन के दौरान महिलाओं के धरने में नियमित रूप से बिरयानी भी नफीस ही पहुंचाया करता था. उसने प्रदर्शनकारियों को बड़ी इमदाद दी. नफीस बिरयानी के बुरे दिन उस समय आने शुरू हुए, जब शहर के धूमनगंज इलाके में उमेश पाल और उसके दो गनर की हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड में जिस सफेद क्रेटा कार का इस्तेमाल किया गया था, वह हत्याकांड के अगले ही दिन माफिया अतीक अहमद के मकान के पास से बरामद हुई.

अशरफ का जेल से लेकर पेशी तक का खर्चा उठाता था नफीस

शुरुआती जांच में यह बात सामने आई कि क्रेटा कार रुखसार के नाम पर है, जो नफीस का रिश्तेदार है. इसी आधार पर पुलिस ने नफीस पर शिकंजा कसना शुरू किया. 50 हजार का इनामी नफीस अशरफ के जेल से लेकर पैरवी, पेशी तक के खर्च उठाता था. इसके साथ ही अशरफ की पत्नी जैनब के लिए भी रुपयों-गाड़ी का इंतजाम करता था.

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