मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एक बार विशेष राज्य के दर्जे की मांग करते हुए केंद्र के पाले में गेंद डाला है. इससे पहले पार्टी के तौर पर जदयू की तरफ से विशेष राज्य की दर्जे की मांग होती रही है, पर नीतीश कुमार ने जातीय आंकड़ों को आधार बनाते हुए सरकार की तरफ से केंद्र से प्रदेश की योजनाओं को लेकर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है. पिछले दिनों सीएम नीतीश ने केंद्र के नाम खुला पत्र लिखकर अपनी बात सामने रखी थी. नीतीश कुमार के एकबार फिर शुरू किए गए मुहिम पर हम पार्टी के संरक्षक जीतन राम मांझी ने सवाल खड़ा करते तंज कसा है.
जीतन राम मांझी ने कहा है कि बिहार को अलग देश का दर्जा देने की मांग कर सकतें हैं नीतीश कुमार? अब यही सुनना बाकी रह गया है. हद है…जब पहले ही नीति आयोग ने यह साफ कर दिया है कि देश के किसी भी राज्य को विशेष दर्जा नहीं मिल सकता तो फिर ”चुनावी” विशेष राज्य की डिमांड काहे का?
नीतीश ने कैबिनेट के जरिए इस बार उठाई मांग
जातीय गणना के आंकड़े सामने आने और बिहार में 75 प्रतिशत आरक्षण लागू करने के बाद मुख्यंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा कदम उठाया है. बिहार कैबिनेट ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का प्रस्ताव पारित कर केंद्र से स्पेशल स्टेटस देने की मांग उठाई है. नीतीश कुमार ने तर्क दिया है कि जाति आधारित गणना में सभी वर्गों को मिलाकर बिहार में लगभग 94 लाख गरीब परिवार पाए गए हैं. उन सभी परिवार के एक सदस्य को रोजगार हेतु 2 लाख रूपये तक की राशि किश्तों में उपलब्ध करायी जाएगी.
आंकड़ों के जरिए नीतीश सरकार ने उठाई मांग
इसको देखते हुए 63,850 आवासहीन एवं भूमिहीन परिवारों को जमीन क्रय के लिए राशि की सीमा को बढ़ाकर 1 लाख रूपये कर दिया गया है. साथ ही इन परिवारों को मकान बनाने के लिए 1 लाख 20 हजार रुपए दिए जाएंगे. 39 लाख परिवारों को पक्के मकान बनाने के लिए पैसे की जरूरत है, जिसके लिए विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना जरूरी है.