राजधानी के प्रगति मैदान में चले रहे आयोजित अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में रोजाना भारी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. 27 नवंबर तक चलने वाले इस मेले में आधुनिक चीजों के साथ साथ आयुर्वेद के फार्मूलों एवं जड़ी-बूटियों के स्टाल में खासे लोग पहुंच रहे हैं.
मेले के 42 वें संस्करण का थीम वसुधैव कुटुंबकम पर आधारित है. इस मेले में 13 देशों के साथ 25 राज्य समेत देश-विदेश के 3500 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं. हाल नंबर-12 में सभी प्रकार के सौंदर्य उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं लेकिन इनमें आयुर्वेद के उत्पाद लोगों को खासतौर पर लुभा रहे हैं. आयुर्वेद फार्मूलों के आधार पर त्वचा, दांतों एवं बालों की देखरेख को लेकर उत्पादों की एक नई श्रंखला लांच की थी. इस श्रंखला में करीब सवा सौ उत्पाद अब तक जारी हो चुके हैं
ग्लोबस आयुर्वेद के एमडी डा. अनिल वर्मा बताते हैं कि मेले में आने वाले लोग आयुर्वेद के स्टाल पर जरूर आ रहे हैं और यहां पर तमाम तरह के आयुर्वेकि उत्पाद भी ले जा रहे हैं. वहीं, एमिल-आयुथवेदा के निदेशक डा. संचित शर्मा के अनुसार ये उत्पाद अनूठे, दुष्प्रभाव रहित एवं प्रभावी हैं, जिसका फायदा लोगों को मिल रहा है, इसलिए वे इन्हें हाथोंहाथ ले रहे हैं. एक तरफ उत्पाद जहां आयुर्वेद पर आधारित हैं, वहीं लोगों की जरूरतों को भी इसमें ध्यान में रखा गया है. पूर्वी दिल्ली के योजना विहार से मेले देखने आए सुमित ने बताया कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति हजारों वर्ष पुरानी है. धीरे-धीरे आयुर्वेद की ओर लोगों का रुझान बढ़ता जा रहा है. यही वजह है कि आयुर्वेद के स्टाल पर खूब भीड़ है.