मुलायम सिंह यादव को लोग नेताजी के नाम से जानते और बुलाते रहे हैं. यूपी की राजनीति उनके जिक्र के बिना अधूरी है. धोबी पछाड़ दांव से मुलायम सिंह यादव ने राजनीति में बड़े-बड़े विरोधियों को पटखनी दी. व्यक्तिगत रिश्ते निभाने में वे बेजोड़ थे. मुलायम सिंह बड़े-बड़े राजनीतिक घटनाओं के गवाह रहे. समाजवादी पार्टी बनाकर उन्होंने यूपी से कांग्रेस का सफाया कर दिया, लेकिन न्यूक्लियर डील के मुद्दे पर उन्होंने केंद्र में कांग्रेस का समर्थन भी किया.
देश का प्रधानमंत्री बनने का उनका सपना अधूरा ही रहा. मुलायम सिंह के जन्म दिन 22 नवंबर पर उनके गांव सैफई में अब स्मारक और पार्क बनेगा. मुलायम सिंह यादव की याद में समाजवादी पार्टी भव्य स्मारक बनाएगी. पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव इसका शिलान्यास करेंगे. सैफई में जिस जगह पर उनकी समाधि है, वहीं स्मारक बनेगा. इस स्मारक में पार्क भी बनेगा.
अखिलेश यादव ने बताया कि साल 2027 तक ये बन कर तैयार हो जाए, ये प्रयास रहेगा. यह स्मारक 8.3 एकड़ जमीन पर बनेगा. इसमें से 4.5 एकड़ जमीन पर एक भव्य पार्क तैयार होगा. स्मारक में एक कॉरिडोर बनेगा जिससे लोग मुलायम सिंह के समाधि स्थल तक पहुंच सकते हैं. मेमोरियल के ठीक बीच में मुलायम सिंह के कांसे की मूर्ति लगाई जाएगी. मेमोरियल में एक ऑडिटोरियम बनाने का भी फैसला हुआ है.
मेमोरियल में दिखेगी मुलायम सिंह की जिंदगी
अब्राहम लिंकन के स्मारक की तर्ज पर इस मेमोरियल में मुलायम सिंह की जिंदगी से जुड़ी चीजें भी प्रदर्शित करने की योजना है. अखिलेश यादव चाहते हैं कि मुलायम सिंह यादव की याद में बनने वाला स्मारक संसद की बनावट पुरानी बिल्डिंग की तरह हो. अखिलेश यादव का कहना है कि उनका जन्म और पालन-पोषण सैफई में हुआ और वहीं उनकी शिक्षा-दीक्षा हुईय उनके स्मारक के लिए सैफई से बेहतर कोई जगह नहीं हो सकती. मुलायम के ‘गुरु’ और संरक्षक पूर्व सांसद उदय प्रताप ने स्मारक की रूपरेखा तैयार की, जिसमें बताया गया कि इसमें विशाल लॉन, कला दीर्घाएं, मुलायम के जीवन के साथ-साथ राजनीतिक और सामाजिक संघर्षों पर एक म्यूजियम शामिल होगा.