भारत में खासतौर पर उत्तर भारत में सर्दियां आ चुकी हैं. ऐसे में लोग वाटर हीटर या गीजर का इस्तेमाल शुरू कर चुके हैं या नया गीजर लेकर इस्तेमाल करना शुरू करने वाले हैं. लेकिन, काफी सारे लोग गीजर इस्तेमाल करते वक्त कई तरह की गलतियां करने लगते हैं. ये गलतियां सालों से गीजर इस्तेमाल कर लोग भी कर बैठते हैं. ऐसे में हम आपको यहां बताने जा रहे हैं कि आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
सॉफ्ट वाटर के साथ करें गीजर का इस्तेमाल: अगर आप गीजर के साथ हार्ड वाटर का इस्तेमाल करेंगे तो भारी मात्रा में मिनरल और सॉल्ट इंटरनल कंपोनेंट्स पर चिपक जाएंगे और स्केल फॉर्म करेंगे. स्केल यानी सफेद रंग का चॉक जैसा सब्सटेंस. गीजर के अंदर स्केलिंग कई तरह की दिक्कत पैदा करता है. इससे गीजर की एफिशिएंसी कम हो जाती है और कई बार वाटर हीटर ही खराब हो जाता है.
खाली टैंक में न चलाएं वाटर हीटर: अगर आपके घर पानी न आ रहा हो और आपने गीजर चला दिया तो इससे काफी नुकसान हो सकता है. दरअसल होता कुछ यूं है कि गीजर के अंदर मौजूद हीटिंग एलिमेंट पानी के साथ काम करने के लिए बने होते हैं. ऐसे में अगर गीजर को लंबे समय तक बिना पानी के चलाया जाए तो इससे हीटिंग एलिमेंट या थर्मोस्टेट खराब हो सकता है.
गीजर को लंबे समय तक न रखें ऑन: अक्सर लोग गीजर को बंद करना भूल जाते हैं या कई बार घर में काफी मेंबर्स होने की वजह से गीजर लंबे समय तक ऑन रहता है. लेकिन, गीजर को लंबे समय तक ऑन रखने से न केवल बिजली का बिल बढ़ता है बल्कि इससे गीजर पर स्ट्रेस भी बढ़ता है. इससे इसके फेल होने की आशंका बढ़ जाती है. अगर आप बार-बार गीजर बंद करना भूल जाते हैं तो आप स्मार्ट प्लग खरीद सकते हैं. साथ ही बाकी फैमिली मेंबर्स को समय का ध्यान रख गीजर इस्तेमाल करने की सलाह दें.
ध्यान रहे कि पानी पावर आउटलेट सॉकेट में न जाए: पावर आउटलेट सॉकेट आमतौर पर गीजर से दूरी पर इंस्टॉल किया जाता है. लेकिन, कई बार आसपास होने से या नीचे की तरफ होने से पानी सॉकेट में चले जाने का खतरा होता है. साथ ही कई बार सफाई करते हुए पानी सॉकेट में जा सकता है. ऐसे में ध्यान रहे कि पानी सॉकेट में न जाए वर्ना कोई दुर्घटना हो सकती है.
गीजर में सही तापमान सेट करें: एक्सपर्ट्स के मुताबिक गीजर का टेम्परेचर 40 से 45 डिग्री के बीच होना चाहिए. हालांकि, काफी लोग जानकारी के अभाव में गीजर का तापमान काफी ज्यादा रख लेते हैं. इससे पानी ज्यादा गर्म हो जाता है. फिर उन्हें पानी बार-बार मिक्स करना होता है. ऐसे में बिजली की भी खपत होती है और मेहनत भी लगती है.