पश्चिम बंगाल के गवर्नर सीवी आनंद बोस ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि तृणमूल सरकार राजभवन की जासूसी करवा रही है. ममता बनर्जी की सरकार से टकराव में एक कदम और आगे बढ़ते हुए गवर्नर ने मंगलवार को दावा किया कि उनके पास कोलकाता स्थित गवर्नर हाउस में जासूसी के संबंध में विश्वसनीय जानकारी है. उन्होंने बताया कि संबंधित विभाग को इसके बारे में जनकारी दे दी गई है. पिछले राज्यपाल की तर्ज पर ही सीवी आनंद के भी मामता बनर्जी सरकार के साथ खटास भरे संबंध रहे हैं.
न्यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत करते हुए सीवी आनंद बोस ने कहा, ‘यह एक तथ्य है. मेरे पास इस संबंध में विश्वसनीय जानकारी है. संबंधित विभाग के समक्ष यह मुद्दा उठाया गया है. मैं उनके जवाब का इंतजार करूंगा.’ महीने की शुरुआत में, बोस ने रवींद्रनाथ टैगोर के नाम वाली नई पट्टिकाओं की स्थापना पर विश्वविद्यालय से रिपोर्ट मांगी थी. उन्होंने राजभवन के उत्तरी द्वार का नाम भी बदलकर ‘गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर गेट’ रख दिया. ऐसा तब हुआ जब परिसर के अंदर टैगोर के नाम के बिना कुछ पट्टिकाएं लगाई गई, जिससे एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया.
हिंसा की संस्कृति…
बीते दिनों राज्य में एक टीएमसी कार्यकर्ता की हत्या हो गई थी. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्यपाल ने कुछ दिनों पहले कहा था कि बंगाल की राजनीति में हिंसा की संस्कृति है. उन्होंने कहा, ‘कानून अपना काम करेगा. हम निश्चित रूप से इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे और राजभवन भी अपना कर्तव्य निभाएगा. हिंसा के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए. कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ सामाजिक उपाय भी होने चाहिए. हिंसा बंगाल की राजनीति को प्रभावित कर रही है. हिंसा की यह संस्कृति बंद होनी चाहिए.’
स्पीकर का राज्यपाल पर आरोप
इससे पहले, पश्चिम बंगाल सरकार में विधानसभा के स्पीकर बिमान बनर्जी ने राज्यपाल की ओर से विधेयकों को मंजूरी देने में देरी का आरोप लगाया था. उन्होंने 7 नवंबर को कहा था, ‘2011 से, कुल 22 बिल राजभवन में मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं. तीन बिल 2011 से 2016 तक, चार 2016 से 2021 तक और 15 बिल 2021 से अब तक अनसुलझे हैं. इनमें से छह बिल वर्तमान में सीवी आनंद के अधीन हैं.’