भारत की अर्थव्यवस्था मजबूती की ओर बढ़ रही है और इसका प्रमाण ईपीएफओ के नवीनतम आंकड़े दे रहे हैं. ईपीएफओ द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों के अनुसार 17.21 लाख नए मेंबर सितंबर महीने में ईपीएफओ में शामिल हुए हैं. यह आंकड़ा अगस्त के महीने से ज्यादा उत्साहवर्धक है, क्योंकि 21472 ज्यादा ईपीएफओ के मेंबर अगस्त महीने के मुकाबले सितंबर महीने में जुड़े हैं. इसके साथ ही साथ अन्य एजेंसियों के आंकड़ों की बात करें तो NSO के ताजा आंकड़े के अनुसार देश में शहरी बेरोजगारी की दर घट रही है.
क्या बताते हैं NSO के आंकड़े
NSO के ताजा आंकड़े बताते हैं कि देश में शहरी इलाकों में बेरोजगारी की दर में लगातार कमी आ रही है. अप्रैल -जून 2022 के आंकड़ों के अनुसार 7.6 फीसदी बेरोजगारी की दर थी जो कि जुलाई-सितंबर 2022 में 7.2 फीसदी हो गई. अक्टूबर-दिसंबर 2022 में 7.2 फीसदी, जनवरी-मार्च में 6.8 फीसदी और अप्रैल-जून 2023 में 6.6 फीसदी रह गई है. अगर राज्यों में शहरी बेरोजगारी की बात की जाए तो हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर और केरल में शहरी बेरोजगारी की दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है. जबकि दिल्ली, गुजरात, पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र और हरियाणा में यह दर राष्ट्रीय औसत से कम है.
मोदी सरकार की नीतियों का हो रहा है असर
बीजेपी के प्रवक्ता जयराम विप्लव का कहना है कि पीएम मोदी की दीर्घकालीन और रोजगारपरक नीतियों का असर दिख रहा है. जयराम विप्लव दावा करते हैं कि कोरोनाकाल के दौरान और इसके बाद पीएम मोदी ने जिस तरह से उद्योगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर सहायता दी पीएलआई स्कीम चलाई इसका फायदा रोजगार के क्षेत्र में दिख रहा है. जयराम विप्लव का कहना है कि आने वाले दिनों में यह असर और भी दिखेगा. बेरोजगारी में कमी के कारण औद्योगिक विकास भी होगा. जयराम विप्लव का दावा है कि इससे पीएम मोदी के भारतीय अर्थव्यवस्था को आने वाले कुछ वर्षों में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में भी मदद मिलेगी.