बत्ती गुल मीटर चालू - पोस्ट डिलीट पर चर्चा आहे...
अपनी सोशल मीडिया पोस्ट्स से प्रायः चर्चा में रहने वाले गोपामऊ सुरक्षित विधानसभा सीट से भाजपा विधायक श्याम प्रकाश का जिक्र पुनः एक डिलीट पोस्ट को लेकर आम-ओ-खास की ज़ुबान पर है। कल अहमदाबाद के नरेंद मोदी स्टेडियम में हुए फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया के हाथों भारत की हार के बाद विधायक ने फेसबुक पर एक पोस्ट की थी। पोस्ट का मजमून कुछ ये था...
आज हर भारतीय ने भारतीय टीम की जीत के लिए अपने देवी, देवता, गुरु और भगवान से दुआ मांगी।। अगर कहीं भारत में देवी, देवता, या भगवान होते और उनके वश में कुछ होता तो क्या वह पूरे देश को निराश कर, भारतीय टीम को हारने देते ? कहां गए आज के भगवान--------धाम वाले ?
कुल जमा साढ़े चार लाइन की पोस्ट विधायक ने बाद में डिलीट कर दी। लेकिन, देर हो चुकी थी और स्क्रीन शॉट लिए जा चुके थे। जाहिर है, लोकसभा चुनाव की गो-धूलि बेला में श्याम प्रकाश चूल्हे में हाथ दे चुके थे। पोस्ट पर जिस तरह की प्रतिक्रियाएं आईं, विधायक समझ चुके थे कि उनके मंतव्य को दूसरी दिशा मिल रही है। जब बात निकलती है तो दूर तलक जाती है।
बात सोशल मीडिया से निकली और विभिन्न समाचार माध्यमों ने उसे पर लगा दिए। कोई उन्हें ईश निन्दक तो कोई समाजवादी पार्टी के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य की राह का राही बता रहा है। इतना ही नहीं, बात को लोकसभा चुनाव से भी जोड़ा जा रहा है। बहरहाल, विधायक की क्या मंशा रही, लोगों ने ना जाने की कोशिश की और ना समझने की। विधायक ने भी ऐसा करने की कोशिश नहीं की। तो, श्याम प्रकाश के मन की बात खंज़र सूत्र ने जानी। ये रही उनकी ज़ुबानी।
बक़ौल श्याम प्रकाश- दरअसल लोगों ने विमर्श को उल्टी दिशा में मोड़ दिया। हम परम्परागत धर्मानुरागी हैं। हमारा तात्पर्य यह था कि सतयुग, त्रेतायुग और द्वापरयुग में संकट में फंसे भक्त की करुण पुकार भगवान सुन लेते थे, तो कभी साक्षात और कभी अवतार रूप में सहायता करते थे। दो उदाहरण हमारी हरदोई में ही हैं। एक भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए नरसिंह अवतार और राक्षस राज बलि से स्वर्गलोक व पृथ्वीलोक की रक्षा के लिए वामन अवतार। हमें गर्व है कि हमारे एक प्रतिनिधि पुण्य धरा बावन से आते हैं। हमारा मंतव्य था, आज जो नए नए भगवान बने बैठे हैं, जो भोले-भाले लोगों को गुमराह करते हैं, मुंह देख भूत भविष्य बताते हैं, वो वर्तमान क्यों नहीं बदलते। हमारी पोस्ट की लास्ट लाइन पर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया।
बस इतनी सी बात है।
(बृजेश कबीर)