मुंबई पुलिस ने नगर निकाय की अनुमति के बिना शहर के लोअर परेल इलाके में एक पुल के हिस्से का कथित तौर पर “उद्घाटन” करने के लिए शनिवार तड़के शिव सेना (यूबीटी) विधायक आदित्य ठाकरे और उनकी पार्टी के कुछ अन्य नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री ठाकरे ने दावा किया कि पुल का निर्माण दो सप्ताह पहले पूरा हो गया था लेकिन इसे जनता के लिए नहीं खोला गया क्योंकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पास इसका उद्घाटन करने का समय नहीं था। प्राथमिकी (एफआईआर) बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के एक अधिकारी द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर दर्ज की गई थी। शिकायत में कहा गया है कि आदित्य ठाकरे, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के नेता व विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) सचिन अहीर और सुनील शिंदे, मुंबई की पूर्व महापौर किशोरी पेडनेकर और स्नेहल अंबेकर तथा 15 से 20 अन्य लोगों ने बृहस्पतिवार रात लोअर परेल में बीएमसी प्रशासन की अनुमति के बिना डेलिसल ब्रिज के दूसरे ‘कैरिजवे’ का उद्घाटन किया।
यह पुल ठाकरे के वर्ली निर्वाचन क्षेत्र में स्थित है। मुंबई नगरपालिका आयुक्त वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा नियुक्त प्रशासक के रूप में कार्य करते हैं क्योंकि बीएमसी की आम सभा का कार्यकाल समाप्त हो गया है। शिकायत में कहा गया है कि उद्घाटन का कार्य अवैध था क्योंकि पुल अब भी अधूरा है और उपयोग के लिए सुरक्षित प्रमाणित नहीं था, और इसका समय से पहले उपयोग मोटर चालकों के लिए जोखिम पैदा कर सकता है। अधिकारी ने कहा कि प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 143, 149 (दोनों गैरकानूनी रूप से एकत्रित होने से संबंधित), 336 (अविवेकपूर्ण तरीके या लापरवाही से काम करना) और 447 (आपराधिक अतिक्रमण) के तहत दर्ज की गई है।
बाद में आदित्य ठाकरे ने एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि शिंदे सरकार ने ‘डेलिसल ब्रिज’ के उद्घाटन में देरी की। उन्होंने कहा, “100-120 मीटर की लेन को जनता के लिए नहीं खोला गया क्योंकि मुख्यमंत्री के पास इसका उद्घाटन करने का समय नहीं था। काम 10-15 दिन पहले ही पूरा हो गया था।” ठाकरे ने कहा, “मुंबई के लिए लड़ने के लिए मेरे और मेरे सहयोगियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। मेरे दादाजी (शिवसेना संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे) को इस पर गर्व होता क्योंकि हम मुंबई और महाराष्ट्र के हित के लिए लड़ रहे हैं।” शिवसेना (यूबीटी) नेता ने कहा, राज्यपाल रमेश बैस को मुख्यमंत्री को बुलाना चाहिए और उन्हें शासन पर ध्यान केंद्रित करने के बारे में सचेत करना चाहिए। जून 2022 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना में विभाजन के बाद एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने थे।