एंड्रॉयड फोन में कितनी होनी चाहिए रैम?

एंड्रॉयड फोन में कितनी होनी चाहिए रैम?

जेब में स्मार्टफोन रखना अब एक फैशन सिंबल से बढ़कर जरूरत बन गया है. लोग घर से निकलते हैं तो बैटरी फुल करके चलते हैं ताकि स्मार्टफोन लम्बे समय तक ऑन रहे. किसी भी तरह की जरूरत के समय अपने जानकारों से संपर्क किया जा सके. इसके साथ ही इंटरनेट का इस्तेमाल करके बहुत सारे काम चुटकियों में निपटा लिए जाते हैं. जैसे-जैसे लोग एडवांस होते जा रहे हैं, वैसे वैसे ही हर जरूरत के लिए एक ऐप आ गई है. किसी को वर्कआउट करना हो, किसी को कहीं आना-जाना हो, चैटिंग करना हो, गेम खेलना हो, या फिर शॉपिंग करना हो. हर सर्विस के लिए अलग ऐप है. ऐसे में जरूरत की ऐप्स फोन में रखना जरूरी हो जाता है. पहले जो काम कंप्यूटर के जरिये किये जाते थे, वे आजकल स्मार्टफोन से होने लगे हैं. मल्टी-टास्किंग के लिए फोन में रैम (RAM) का होना जरूरत है. रैम जितनी अधिक होगी, फोन उतना ही स्मूद चलेगा, क्योंकि सभी ऐप्स को चलने के लिए रैम पर स्पेस की जरूरत होती है.

ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि स्मार्टफोन में कितनी रैम (Random Access Memory) होनी चाहिए? हालांकि यह प्रश्न का उत्तर केवल एक शब्द में नहीं दिया जा सकता. यह स्मार्टफोन यूजर की जरूरतें अलग होती हैं और उसी के हिसाब से रैम की भी जरूरत पड़ती है. जो लोग बड़ी-बड़ी गेम खेलने के शौकीन हैं, उन्हें स्वाभाविक रूप से ज्यादा रैम चाहिए होगी. ज्यादा रैम ही नहीं, बैटरी भी बड़ी होनी चाहिए. इसके उलट केवल कॉल, चैटिंग और सामान्य ऐप्स का काम कम रैम में भी बखूबी चल सकता है.

फिर भी, नया फोन खरीदने से पहले यह आकलन अवश्य कर लेना चाहिए कि आपको कितनी रैम की आवश्यकता पड़ने वाली है. ऐसा न हो कि आप कम रैम वाला डिवाइस खरीद लें और बाद में परफॉर्मेंस को लेकर परेशान होते रहें. कम रैम वाले फोन सस्ते होते हैं, जबकि ज्यादा रैम वाले महंगे. इनके अलावा एक मिड-साइज रैम वाले फोन भी हैं, जो बजट और प्रीमियम स्मार्टफोन्स के बीच में आते हैं.

कभी 512 MB रैम भी होती थी बढ़िया!

बता दें कि आज से लगभग 8-10 साल पहले जो स्मार्टफोन आते थे, उनमें मात्र 512 MB रैम आती थी. कुछ एडवांस फोन्स में 1 GB रैम होती थी. तब भी काम चलता था, मगर उस समय इतनी ज्यादा ऐप्स नहीं थीं. गेम्स भी इतनी हैवी नहीं थी, जितनी कि आज हैं. यदि आप मल्टी-टास्किंग करते हैं आज के समय में आपको कम से कम 6 GB रैम वाला स्मार्टफोन चाहिए ही होगा. हालांकि 4 GB रैम में भी काम चल सकता है, मगर उसके लिए आपको थोड़ी मशक्कत करनी होगी. पहले आपको पहले से चल रहीं ऐप्स को किल (Kill) करना होगा, फिर आप नई ऐप्स पर काम कर पाएंगे. यदि आप कम रैम वाले फोन पर ज्यादा ऐप्स खोल देंगे तो फोन हीट होने के साथ-साथ हैंग भी होने लगेगा.

मल्टी-टास्किंग के लिए 8GB तो हो ही..

2024 में यदि आप एक अच्छा मल्टी-टास्किंग फोन खरीदने की सोच रहे हैं तो अपने दिमाग में यह रखकर चलना होगा कि अगले 2-3 साल तक आप वही फोन यूज करेंगे. आने वाले समय में अधिक रैम की जरूरत भी पड़ेगी. ऐसे में आपको 8 GB कम रैम वाला फोन नहीं खरीदना चाहिए. यदि आप सामान्य काम करते हैं और फोन का बहुत अधिक इस्तेमाल नहीं करते हैं तो आपका काम 4GB फोन से भी चल सकता है.

इन दिनों बजट स्मार्टफोन भी 6 और 8 GB रैम के साथ आते हैं. रेडमी और रियलमी ने बाजार की रूपरेखा बदल दी है. वनप्लस के फोन्स में आपको 12 GB या उससे भी अधिक रैम मिल जाती है. आपको अपने बजट और रैम की जरूरत को अच्छे से समझकर ही स्मार्टफोन खरीदने का मन बनाना चाहिए.

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