New Delhi: केंद्र सरकार को मणिपुर में आदिवासी संगठन ने दी चेतावनी, पृथक स्वशासन की मांग की

New Delhi: केंद्र सरकार को मणिपुर में आदिवासी संगठन ने दी चेतावनी, पृथक स्वशासन की मांग की

मणिपुर में कुकी-जो जनजातियों के अग्रणी संगठन, ‘इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) ने बुधवार को उन क्षेत्रों में पृथक स्व-शासित प्रशासन स्थापित करने की धमकी दी, जहां ये आदिवासी बहुमत में हैं। संगठन ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य में छह महीने से अधिक समय से जारी जातीय संघर्ष के बाद भी केंद्र सरकार ने अब तक पृथक प्रशासन की उनकी मांग को स्वीकार नहीं किया है। आईटीएलएफ के महासचिव मुआन टोम्बिंग ने कहा, “अगर कुछ हफ्ते में हमारी मांग नहीं मानी गई तो हम अपने स्वशासन की स्थापना कर लेंगे, चाहे केंद्र इसे मान्यता दे या नहीं दे।” उनकी टिप्पणी उस दिन आई है जब संगठन ने चूराचांदपुर में आदिवासियों की हत्या की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) या राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से जांच की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया था। आईटीएलएफ के प्रवक्ता गिन्ज़ा वुएलज़ोंग ने कहा, “ जातीय संघर्ष के दौरान कई कुकी-ज़ो आदिवासी मारे गए हैं लेकिन कोई सी भी केंद्रीय जांच एजेंसी इन मामलों की जांच नहीं कर रही है। यह रैली कुकी-ज़ो लोगों पर हुए अत्याचार के विरोध में है।” 

मणिपुर में हालात अभी बिलकुल भी ठीक नहीं हुए हैं। पिछले 6 महीनों से भारतीय सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी सहित भारत की तमाम फोर्स वहां पर अशांति को शांत करवा रहे हैं लेकिन वहां के आदिवासी समुदाय इस चीज से खुश नहीं हैं समुदाय के उग्रवादी समूह के लोग तैनात सेना को टारगेट बना रहे हैं। मणिपुर के तेंगनोउपल जिले में बृहस्पतिवार सुबह उग्रवादियों ने असम राइफल्स के एक बख्तरबंद वाहन के नीचे कम तीव्रता वाले ‘परिष्कृत विस्फोटक उपकरण’ (आईईडी) से विस्फोट किया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

संगठन के एक सदस्य ने कहा किरैली के दौरान प्रदर्शनकारियों ने आदिवासियों के लिए न्याय की मांग करते हुए नारे लगाए और आदिवासियों की हत्या की त्वरित जांच शुरू करने में राज्य सरकार और अन्य जांच एजेंसियों की विफलता की निंदा की। राज्य की राजधानी इंफाल में स्थानीय लोगों ने राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने में मणिपुर सरकार की कथित असमर्थता के विरोध में प्रदर्शन किया। इनमेंज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल थे। उन्होंने गांवों में बंदूकधारियों द्वारा हमले करने की छिटपुट घटनाओं का भी विरोध किया, जिससे हजारों लोग अपने घरों को लौट नहीं पा रहे हैं। इंफाल पश्चिम जिले के कीसंपत, उरीपोक और सिंगजामेई इलाकों में भी विरोध प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने म्यांमा से बड़े पैमाने पर अवैध प्रवासियों के प्रवेश को रोकने के लिए नारे लगाए और राज्य से उनके निर्वासन की मांग की। निंगोल चाकौबा उत्सव के अवसर को लेकर बुधवार को इंफाल घाटी के पांच जिलों में प्रमुख बाजार और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे। मणिपुर में मई में शुरू हुए जातीय संघर्ष में 180 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

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