भारत और अमेरिका के बीच संबंधों की नई ऊंचाई को लगातार छुआ जा रहा है। अब भारत और अमेरिका की विदेश नीति और रक्षानीति दुनिया को एक नई दिशा देगी। इसे दोनों देशों के संबंधों का स्वर्णिम काल कहा जा सकता है। भारत अब अमेरिका का स्ट्रैटेजिक अलायंस बन चुका है। इसलिए भी दोनों देशों के रिश्तों में प्रगाढ़ता आना लाजिमी भी है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन एक व्यस्त व्यक्ति हैं। पश्चिम एशिया की तूफानी यात्रा के बाद उनका अगला पड़ाव भारत है। वह अकेले नहीं आ रहे हैं। ब्लिंकन के साथ अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन भी हैं। उनके एजेंडे में 10 नवंबर को होने वाला 2+2 मंत्रिस्तरीय संवाद है। दोनों अमेरिकी नेता अपने भारतीय समकक्षों, विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा सचिव राजनाथ सिंह से मुलाकात करेंगे। वे द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे। प्रतिनिधिमंडल विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अन्य वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों से मुलाकात कर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में द्विपक्षीय और वैश्विक चिंताओं और विकास पर चर्चा करेगा। ब्लिंकन ने आखिरी बार मार्च में जी20 विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए भारत का दौरा किया था। ऑस्टिन के साथ नवीनतम यात्रा इज़राइल-हमास युद्ध शुरू होने के बाद वरिष्ठ अमेरिकी नेतृत्व की पहली यात्रा है। ऐसे में आइए आपको बताते हैं कि आखिर ये टू प्लस टू वार्ता है क्या, कब हुई इसकी शुरुआत और भारत अमेरिका बैठक में क्या बात करेंगे?
सबसे पहले 3 लाइनों में बताते हैं कि क्या है ‘टू प्लस टू वार्ता’?
‘टू प्लस टू वार्ता’ एक ऐसी मंत्रिस्तरीय वार्ता होती है जो दो देशों के दो मंत्रालयों के मध्य आयोजित की जाती है।
भारत और अमेरिका के बीच ‘टू प्लस टू वार्ता’ दोनों देशों के मध्य एक उच्चतम स्तर का संस्थागत तंत्र है जो भारत और अमेरिका के बीच सुरक्षा, रक्षा और रणनीतिक साझेदारी की समीक्षा के लिये मंच प्रदान करता है।
भारत और अमेरिका के बीच आयोजित यह तीसरी ‘टू प्लस टू वार्ता’ है।
अब आते हैं विस्तार पर, क्या है ये टू प्लस टू बैठक और क्या है इसका एजेंडा।
टू प्लस टू संवाद टर्म दो देशों के रक्षा और बाहरी मामलों के मंत्रालयों के बीच एक संवाद तंत्र की स्थापना के लिए उपयोग किया जाता है। सरल भाषा में कहे तो टू प्लस टू वार्ता एक प्रकार की अभिव्यक्ति है जिसके अंतर्गत प्रत्येक देश के दो नियुक्त मंत्री रक्षा और विदेश दोनों देशों के रणनीतिक और सुरक्षा हितों पर चर्चा करने के लिए मिलेंगे। जिसका उद्देश्य दोनों देशों के संबंधित रक्षा और विदेश मामलों के प्रमुखों के बीच एक कूटनीतिक, और फलदायी बातचीत स्थापित करना है। वर्ष 2010 में भारत और जापान के बीच भी इस तरह की वार्ता हो चुकी है। जून 2017 में व्हाइट हाउस में प्रदानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच तय हुआ था कि टू प्लस टू वार्ता साल में दो बार होगी। अभी तक दो बार यह बातचीत हुई है। इसके तहत तीन बैठकों का दौर चलता है। पहले दोनों देशों के विदेश व रक्षा मंत्रियों की अलग-अलग बैठक होती है। इसके बाद एक संयुक्त बैठक होती है। इसी कड़ी में दोनों देशों के बीच टू-प्लस-टू वार्ता का पहला संस्करण सितंबर, 2018 में दिल्ली में आयोजित किया गया था। पहली टू प्लस टू बातचीत दिल्ली में हुई। भारत की तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और जेम्स मेटिस के साथ अलग-अलग बातचीत हुई। वार्ता के दूसरे संस्करण का आयोजन पिछले साल दिसंबर में वॉशिंगटन में हुआ था।
ऐसे काम करता है
दो देशों के विदेश और रक्षा मंत्री अपने-अपने देशों की रणनीति का ध्यान रखते हुए महत्वपूर्ण मुद्दों पर आम राय पर पहुंचते हैं। राष्ट्राध्याक्षों की समिट के दौरान इस पर अंतिम निर्णय होता है। इसलिए बेहतर है व्यवस्था
दो देशों के बीच मुख्य रणनीति संबंध विदेश और रक्षा मंत्रालय ही देखते हैं। ऐसे में इन मंत्रियों के आपस में मिलने से कई महत्वपूर्ण निर्णय होते हैं।
भारत-अमेरिका 2+2 वार्ता में क्या चर्चा होगी?
यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब दुनिया इजरायल-हमास युद्ध और रूस-यूक्रेन संघर्ष से उत्पन्न भूराजनीतिक तनाव पर विभाजित है। हालांकि, रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों का कहना है कि इसका मुख्य फोकस इंडो-पैसिफिक में सुरक्षा चुनौतियों और चीन पर चिंताओं पर है। एजेंडे से अवगत भारत सरकार के एक अधिकारी ने रॉयटर्स के हवाले से कहा कि चीन और बड़ा इंडो-पैसिफिक प्रमुख फोकस बिंदु होंगे। चीन और क्षेत्र में उसकी बढ़ती आक्रामकता भारत, अमेरिका और अन्य विश्व शक्तियों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है, जो एक मुक्त इंडो-पैसिफिक सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर चर्चा कर रहे हैं। यह ऐसे समय में आया है जब नई दिल्ली और वाशिंगटन दोनों के बीजिंग के साथ तनावपूर्ण संबंध हैं। बातचीत में इजराइल-हमास युद्ध और यूक्रेन-रूस संघर्ष पर भी चर्चा होने की संभावना है। इन विवादों का भारत और अमेरिका के संबंधों पर सीधा असर नहीं पड़ता है. लेकिन जबकि अमेरिका इजराइल का सबसे बड़ा सहयोगी है और उसने यूक्रेन का समर्थन किया है, भारत ने दोनों युद्धों में किसी का पक्ष न लेते हुए कूटनीतिक बीच का रास्ता अपनाया है। ये भू-राजनीतिक घटनाक्रम राष्ट्रों के बीच रणनीतिक संबंधों को प्रभावित करते हैं।
भारत को बैठक से उम्मीदें
एमईए ने अपने बयान में कहा कि भारत-अमेरिका 2+2 संवाद में मंत्री इस साल जून और सितंबर में अपनी चर्चाओं में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति जोसेफ बिडेन द्वारा परिकल्पित भारत-अमेरिका साझेदारी के भविष्य के रोडमैप को आगे बढ़ाने का अवसर लेंगे। इसमें कहा गया है कि बैठक रक्षा और सुरक्षा सहयोग, प्रौद्योगिकी मूल्य श्रृंखला सहयोग और लोगों से लोगों के संबंधों के क्रॉस-कटिंग पहलुओं में प्रगति की उच्च स्तरीय समीक्षा करने में सक्षम होगी। भारत सरकार के अधिकारी के अनुसार, रक्षा उपकरणों के संयुक्त विकास सहित रक्षा सहयोग पर भी चर्चा की जाएगी। भारत अमेरिका से 31 MQ-9B रीपर ड्रोन प्राप्त कर रहा है और जनरल इलेक्ट्रिक्स और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने भारत में GE-414 जेट इंजन बनाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। दोनों देश सेमीकंडक्टर विनिर्माण के लिए सौदों पर भी काम कर रहे हैं। रॉयटर्स के अनुसार, अधिकारियों ने कहा कि चर्चा जून में पीएम मोदी की वाशिंगटन की सफल यात्रा और सितंबर में जी20 शिखर सम्मेलन के लिए बिडेन की नई दिल्ली यात्रा से जुड़ी होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर कनाडा के साथ भारत के राजनयिक विवाद से बातचीत पर असर पड़ने की उम्मीद नहीं है, हालांकि वाशिंगटन ने हत्या की जांच में ओटावा के साथ सहयोग करने के लिए नई दिल्ली पर दबाव डाला है। इंडो-पैसिफिक नीति से वाकिफ एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि अमेरिकी अधिकारी कनाडा की धरती पर जून में हुई हत्या की जांच में समर्थन देने का वादा करते हुए भारत के साथ संबंधों को गहरा करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।