एआईएसएमए: देश में सौर मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता 60,000 मेगावाट पर पहुंची

एआईएसएमए: देश में सौर मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता 60,000 मेगावाट पर पहुंची

देश में सौर मॉड्यूल की स्थापित विनिर्माण क्षमता 60,000 मेगावाट पर पहुंच गयी है। उद्योग संगठन ऑल इंडिया सोलर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एआईएसएमए) ने बृहस्पतिवार को एक बयान में यह जानकारी दी। वित्त वर्ष 2020-21 में पॉलीसिलिकॉन मॉड्यूल बनाने की क्षमता 10,000 मेगावाट से कम थी। इसकी क्षमता कम वाट की थी। भारत ने इस क्षमता को बढ़ाकर वर्तमान में 60,000 मेगावाट कर दिया है। साथ ही अब जो विनिर्माण हो रहा है उसकी क्षमता उच्च वाट की है। इसके साथ तकनीकी रूप से उन्नत मोनो पर्क, टॉपकॉन और एचजेटी मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता भी बढ़ी है। एआईएसएमए के अध्यक्ष हितेश दोषी ने कहा, ‘‘यह वास्तव में भारतीय सौर विनिर्माण क्षेत्र के लिये एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

सौर ऊर्जा को अपनाना स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में बदलाव के लिहाज से महत्वपूर्ण है। इसके साथ अंतरिक्ष में भारत का बढ़ता नेतृत्व देश को वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा बाजार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम बनाएगा।’’ भारत ने 2070 तक शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। देश का लक्ष्य 2030 तक 5,00,000 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमताहासिल करने का है। सौर ऊर्जा से इस क्षमता में 3,00,000 मेगावाट का योगदान होने की उम्मीद है। देश में सौर ऊर्जा क्षमता 30 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ रही है। देश में विनिर्मित उच्च गुणवत्ता वाले सौर मॉड्यूल की उत्तरी अमेरिका और यूरोप जैसे वैश्विक बाजारों में मांग बढ़ी है। वर्ष 2023 में ही भारतीय सौर विनिर्माताओं ने 3,900 मेगावाट क्षमता का सौर मॉड्यूल का निर्यात किया है।

इसे प्रति वर्ष 30,000 मेगावाट तक बढ़ाया जा सकता है। इससे न केवल विदेशी मुद्रा के रूप में में सात-आठ अरब डॉलर की कमाई हुई। साथ ही जीवाश्म ईंधन (कच्चा तेल, कोयला आदि) आयात पर भारी निर्भरता के रुख में भी बदलाव आ रहा है। सरकार की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना जैसी पहल से वित्त वर्ष 2024-25 के अंत तक40,000 मेगावाट अतिरिक्त मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता जुड़ने की उम्मीद है। देश में इस समय 100 से अधिक सौर मॉड्यूल विनिर्माता हैं। चयनित 27 मॉड्यूल विनिर्माताओं की क्षमता 50,000 मेगावाट है।

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