उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को एक अहम फैसले के तहत सभी उच्च न्यायालयों को जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमों की निगरानी के लिए एक विशेष पीठ गठित करने और स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज करने का निर्देश दिया, ताकि उनका शीघ्र निपटारा सुनिश्चित किया जा सके। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने जन प्रतिनिधियों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटारे के अनुरोध वाली अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका पर उच्च न्यायालयों और निचली अदालतों को कई निर्देश जारी किए।
शीर्ष अदालत ने कहा कि उसके लिए जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लंबित मामलों के त्वरित निपटारे के लिए निचली अदालतों को एक समान दिशा-निर्देश देना मुश्किल होगा। उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था में कहा गया है कि उच्च न्यायालय कानून निर्माताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमों की निगरानी के लिए एक विशेष पीठ का गठन करेंगे, जिसकी अध्यक्षता या तो मुख्य न्यायाधीश या फिर उनके (मुख्य न्यायाधीश के) द्वारा नामित पीठ द्वारा की जाएगी। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय आपराधिक मामलों में जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मुकदमों पर विशेष निचली अदालतों से स्थिति रिपोर्ट मांग सकते हैं।
उसने कहा, ‘‘सुनवाई अदालतें दुर्लभ और बाध्यकारी कारणों को छोड़कर सांसदों, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों के खिलाफ मामलों की सुनवाई स्थगित नहीं करेंगी।’’ प्रधान न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश जन प्रतिनिधियों से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाली नामित विशेष अदालतों के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा एवं तकनीकी सुविधाएं सुनिश्चित करेंगे।