राजस्थान में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दो अधिकारियों को कथित तौर पर रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इन्हें नीमराणा में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) के अधिकारियों ने रंगे हाथों पकड़ा था। जयपुर एंटी करप्शन ब्यूरो ने प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी नवल किशोर मीना और उनके सहयोगी बाबूलाल मीना को 13 लाख रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया है। राजस्थान एसीबी ने कहा कि ईडी के दो अधिकारियों को पैसे लेते हुए पकड़ा गया। ब्यूरो ने कहा कि नवल किशोर ने चिटफंड मामले में शिकायतकर्ता के खिलाफ मणिपुर की राजधानी इंफाल में ईडी कार्यालय में दर्ज एक मामले को निपटाने के बदले कथित तौर पर 17 लाख रुपये की मांग की थी और कहा कि वह इंफाल में ईडी के उप-जोनल कार्यालय में तैनात है।
इस सिलसिले में उनके आवास और अन्य ठिकानों पर अभी भी तलाश जारी है। बयान में कहा गया है कि शिकायतकर्ता ने ब्यूरो को सूचित किया था कि इंफाल में ईडी के कार्यालय में उसके खिलाफ दर्ज मामले को निपटाने के लिए नवल किशोर द्वारा कथित तौर पर 17 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की गई थी। ब्यूरो ने कहा कि शिकायत का सत्यापन करने के बाद उसकी टीम ने उन्हें कथित तौर पर 15 लाख रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सूत्रों ने कहा कि एजेंसी अधिकारी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का आपराधिक मामला दर्ज करने के बाद जांच शुरू करेगी।
ईडी ने विदेशी मुद्रा नियमों के कथित उल्लंघन के मामले में 30 अक्टूबर को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव से नौ घंटे तक पूछताछ की थी। 25 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक एक महीने पहले ईडी की कार्रवाई को गहलोत सरकार ने राजनीतिक प्रतिशोध बताया था। राष्ट्रीय राजधानी की शराब नीति मामले में ईडी की पूछताछ का सामना करने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद सहित विपक्षी दलों और नेताओं ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार 2024 में राष्ट्रीय चुनाव से पहले उन्हें निशाना बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।