महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सोमवार को कहा कि मराठा आरक्षण मुद्दे के संबंध में उच्चतम न्यायालय में उपचारात्मक (क्यूरेटिव) याचिका दायर करने के प्रस्ताव पर राज्य सरकार को सलाह देने के लिए विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति गठित जाएगी।
मराठा समुदाय के सदस्य अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन ने तब जोर पकड़ लिया जब सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे प्रदर्शन के दूसरे चरण के तहत जालना में अंतरवाली सराटी गांव में 25 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ गए।
उनकी अपील पर कई ग्रामीणों ने गांव में राजनीतिक दलों के नेताओं का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया है। शिंदे ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाएगा जो प्रस्तावित उपचारात्मक याचिका को लेकर राज्य सरकार को परामर्श देगी। राज्य उच्चतम न्यायालय में यह उपचारात्मक याचिका दायर करेगा।
विशेषज्ञ समिति में तीन सेवानिवृत्त न्यायाधीश होंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं विस्तार में नहीं जाना चाहता कि क्यों पूर्ववर्ती सरकार राज्य में मराठा आरक्षण को बरकरार रखने में नाकाम रही। उच्चतम न्यायालय ने बंबई उच्च न्यायालय द्वारा बरकरार रखे गए आदेश को रद्द कर दिया है।’’
मराठा समुदाय के लिए कुनबी जाति प्रमाण पत्र कैसे जारी किया जाए, इस विषय पर एक रिपोर्ट पेश करने के लिए राज्य सरकार सेवानिवृत्त न्यायाधीश संदीप शिंदे के नेतृत्व में पहले ही एक समिति गठित कर चुकी है। मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा, ‘‘समिति कल अपनी रिपोर्ट पेश करेगी और इस बारे में कैबिनेट बैठक में चर्चा की जाएगी।’’
सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने घोषणा की है कि अगर राज्य सरकार मराठा समुदाय की लंबित मांग पर कार्रवाई करने में नाकाम रही तो समूचे महाराष्ट्र में आमरण अनशन के साथ प्रदर्शन शुरू किया जाएगा। महाराष्ट्र सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि वह मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है।