बढ़ती वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत की तीनों सेनाएं हर परिस्थिति का सामना करने के लिए खुद को तैयार रख रही हैं और अपनी क्षमताओं को तेजी से बढ़ाने पर भी जोर दे रही हैं। इस क्रम में भारतीय सेना के शीर्ष कमांडरों के सम्मेलन में जहां सुरक्षा स्थिति की समीक्षा कर आगामी चुनौतियों से निबटने की रणनीति बनाई गयी वहीं नौसेना अब तक का सबसे बड़ा संयुक्त अभ्यास करने जा रही है। दूसरी ओर वायुसेना ने भी अपने कमांडरों का सम्मेलन बुलाया है जिसमें तैयारियों की समीक्षा की जायेगी। हम आपको यह भी बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेनाओं को हर स्थिति का सामना करने के लिए खुद को हमेशा तैयार रखने के लिए भी कहा है।
सेना ने बनाई रणनीति
जहां तक भारतीय सेना के शीर्ष कमांडरों के सम्मेलन की बात है तो आपको बता दें कि सभी ने उभरते खतरों और चुनौतियों के मद्देनजर सैन्य बल को ‘‘भविष्य के लिए तैयार’’ रखने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित करने के अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध और इजराइल-हमास संघर्ष से प्रासंगिक सबक लेने के लिए पांच दिवसीय सम्मेलन में विचार-विमर्श किया। दिल्ली में 16 से 20 अक्टूबर तक सैन्य कमांडरों के सम्मेलन में चीन के साथ लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की स्थिति और किसी भी आकस्मिक हालात से निपटने के लिए सेना की अभियानगत तैयारी को बढ़ाने के तरीकों पर भी चर्चा हुई। अधिकारियों ने बताया कि सैन्य कमांडरों ने वर्तमान और उभरते सुरक्षा परिदृश्यों पर विचार-मंथन किया और भारतीय सेना की अभियानगत तैयारियों की समीक्षा की। इसके साथ ही उन्होंने सैन्य बल की संगठनात्मक संरचनाओं और विकसित प्रशिक्षण व्यवस्थाओं के ‘‘बुनियादी पहलुओं’’ पर भी चर्चा की। हाल में सिक्किम में हिमनद झील के टूटने और उसके बाद अचानक आई बाढ़ के अलावा ऐसी स्थितियों में बेहतर कदम उठाने के लिए तंत्र स्थापित करने को लेकर ध्यान केंद्रित करने पर विचार-विमर्श किया गया।
हम आपको बता दें कि सैन्य कमांडरों का सम्मेलन शीर्ष स्तरीय कार्यक्रम है जो हर साल अप्रैल और अक्टूबर में आयोजित किया जाता है। यह सम्मेलन विचार-विमर्श के लिए एक संस्थागत मंच है, जो भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लेने में परिणत होता है। अधिकारियों ने कहा कि सैन्य नेतृत्व ने भारतीय सेना के लिए प्रशिक्षण के संबंध में भी चर्चा की, जिसमें खतरों और संघर्षों के उभरते परिदृश्य के अनुरूप सैन्य बल को ‘‘भविष्य के लिए तैयार’’ रखने की कवायद शामिल है। उन्होंने कहा कि सैन्य नेतृत्व द्वारा रूस-यूक्रेन युद्ध और इजराइल-हमास संघर्ष सहित भू-रणनीतिक मुद्दों और उसके प्रासंगिक सबक पर चर्चा की गई। सम्मेलन को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे और एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने संबोधित किया।
रक्षा मंत्री का स्पष्ट संदेश
सेना ने एक बयान में कहा कि रक्षा मंत्री ने मध्य पूर्व के भू-राजनीतिक संकट और संघर्ष से सबक लेने की आवश्यकता पर जोर दिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना की अभियान संबंधी तैयारियों के उच्च मानकों के लिए उसकी तारीफ की और कहा था कि युद्ध संबंधी तैयारी एक सतत प्रक्रिया होनी चाहिए और सेना को हमेशा अनिश्चितताओं के लिए तैयार रहना चाहिए। सेना के शीर्ष कमांडरों को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख के हालात का जिक्र किया और किसी भी आकस्मिक स्थिति से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए सेना पर पूरा विश्वास जताया। उन्होंने यह भी कहा कि विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए दोनों पक्षों के बीच वार्ता सभी स्तरों पर जारी रहेगी। रक्षा मंत्री ने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के प्रयासों की सराहना की, जिसने कठिन परिस्थितियों में काम करते हुए पश्चिमी और उत्तरी दोनों सीमाओं पर सड़क नेटवर्क में अतुलनीय सुधार किया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि वर्तमान जटिल और कठिन वैश्विक परिस्थितियां वैश्विक स्तर पर सभी को प्रभावित करती हैं। उन्होंने सेना के शीर्ष अधिकारियों का आह्वान किया कि अप्रत्याशित स्थितियों के अनुरूप योजना तैयार करें, रणनीति बनाएं और निपटने की तैयारी करें। उन्होंने कहा कि गैर-परंपरागत युद्ध, भविष्य के पारंपरिक युद्धों का हिस्सा होगा और दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे संघर्षों में भी यह स्पष्ट रूप से प्रदर्शित हो रहा है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भरता के माध्यम से हर जवान के लिए शस्त्रों का आधुनिकीकरण सरकार के ध्यान देने वाला प्रमुख बिंदु है। उन्होंने सैन्य कमांडरों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘रक्षा कूटनीति, स्वदेशीकरण, सूचना युद्ध, रक्षा बुनियादी ढांचे और बल आधुनिकीकरण से संबंधित मुद्दों पर हमेशा ऐसे मंच पर विचार किया जाना चाहिए।’’ राजनाथ सिंह ने कहा कि राष्ट्र को अपनी सेना पर गर्व है और सरकार सेना-सुधार और क्षमता-आधुनिकीकरण की राह पर आगे बढ़ने में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खतरे से निपटने में केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल/पुलिस बलों और सेना के बीच उत्कृष्ट तालमेल की सराहना की। राजनाथ सिंह ने हाल ही में हुए एशियाई खेल में सेना के खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन के लिए भारतीय सेना की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि पूरा देश सेना को सबसे विश्वसनीय और प्रेरणादायी संगठनों में से एक के रूप में देखता है।
भारतीय नौसेना महा अभ्यास की मेजबानी करेगी
जहां तक नौसेना की बात है तो आपको बता दें कि भारत फरवरी में आयोजित होने वाले नौ दिवसीय मेगा नौसैनिक अभ्यास में अपनी बढ़ती समुद्री शक्ति का प्रदर्शन करेगा। तेजी से बिगड़ते वैश्विक भू-राजनीतिक माहौल और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य ताकत के बीच इस महाअभ्यास में 50 से अधिक देशों के शामिल होने की संभावना है। अधिकारियों ने बताया कि अगले साल 19 से 27 फरवरी तक विशाखापत्तनम में आयोजित होने वाले ‘मिलन’ अभ्यास में भाग लेने वाले देशों में अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, बांग्लादेश, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, इंडोनेशिया और मलेशिया की नौसेनाएं शामिल होंगी। उन्होंने कहा कि आगामी अभ्यास भारत द्वारा आयोजित किया जाने वाला अब तक का सबसे बड़ा बहुपक्षीय सैन्य युद्धाभ्यास होगा और इसमें बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास, उन्नत वायु रक्षा संचालन, पनडुब्बी रोधी युद्ध और सतह रोधी अभ्यास शामिल होंगे। बताया जा रहा है कि भाग लेने वाले सभी प्रमुख देश अरब सागर में होने वाले युद्धाभ्यास के लिए अपने मंच और कर्मियों को भेजेंगे। हम आपको बता दें कि मिलन एक द्विवार्षिक बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यास है जिसे 1995 में भारतीय नौसेना ने शुरू किया था।
हवाई शक्ति को मजबूत बनायेगी भारतीय वायुसेना
जहां तक भारतीय वायु सेना की बात है तो आपको बता दें कि उसके शीर्ष कमांडर राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी चुनौतियों और भारत की समग्र वायु शक्ति को बढ़ाने के तरीकों पर व्यापक विचार-विमर्श के लिए अगले सप्ताह दो दिवसीय शिखर सम्मेलन का आयोजन करेंगे। शिखर-सम्मेलन के दौरान चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा पर सुरक्षा हालात की व्यापक समीक्षा किए जाने की भी संभावना है। भारतीय वायु सेना के कमांडरों की यह कॉन्फ्रेंस 26 और 27 अक्टूबर को दिल्ली में होगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान सहित अन्य शीर्ष अधिकारी इस मौके पर कमांडरों को संबोधित करेंगे। सम्मेलन में कमांडर अपनी लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से भविष्य के लिए भारतीय वायुसेना की योजनाओं पर व्यापक विचार-विमर्श करेंगे। इस दौरान उनके (कमांडरों के) नई प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर व्यापक विचार-विमर्श किए जाने की भी संभावना है।