समाजवादी पार्टी के दिग्गज आजम खान को एक बार फिर जेल भेज दिया गया है. इस बार उन्हें एक ऐसी तारीख की वजह से जेल जाना पड़ा है, जिसके दम पर शाह-ए-रामपुर बनने का ख्वाब देखा करते थे. यह तारीख उनके बेटे अब्दुला आजम की जन्मतिथि है. दरअसल आजम कम उम्र में ही बेटे को विधायक बनाना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने 30 सितंबर 1990 की डेट का अब्दुला का फर्जी प्रमाण पत्र भी बनवा लिया. लेकिन जैसे ही वह स्कूल में इस प्रमाण पत्र के मुताबिक बदलाव कराने पहुंचे तो मामले का खुलासा हो गया.
दरअसल आजम खान के बेटे अब्दुला आजम के दो जन्मप्रमाण पत्र हैं. पहला रामपुर नगर परिषद का है और इसमें उनकी जन्म तिथि एक जनवरी 1993 है. वहीं दूसरा प्रमाण पत्र 30 सितंबर 1990 का है. यह लखनऊ नगर निगम से बना है. चूंकि 1993 वाला प्रमाण पत्र असली है और यही प्रमाण पत्र उन्होंने अपनी पढ़ाई के दौरान स्कूल में दिया था. इसलिए स्कूल वाले सभी प्रमाण पत्रों में यही तारीख दर्ज है. चुनाव लड़ने के लिए आजम खान ने जब बेटे का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाया.
इसके बाद इसी प्रमाण पत्र के मुताबिक उन्होंने स्कूल के रिकार्ड में भी बदलाव की कोशिश की. बताया जा रहा है कि स्कूल के प्रिंसिपल ने रिकार्ड चेंज करने से मना तो किया ही, इसकी सूचना उनके विरोधियों को दे दी. इसके बाद में बीजेपी से विधायक आकाश सक्सेना ने 2019 में मुकदमा दर्ज कराया था. इस मामले में आकाश ने अब्दुला आजम के साथ ही आजम खान और उनकी पत्नी तंजीन फातिमा को भी जिम्मेदार बताया था. पुलिस की जांच में मामला प्रमाणित हुआ.
इसके बाद रामपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने बीते बुधवार को इन्हें सात साल की सजा सुनाई है. कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने तीनों को अदालत में ही हिरासत में ले लिया और वहीं से जेल पहुंचा दिया. कोर्ट से जेल जाते समय आजम खान ने मीडिया से भी बात की. उन्होंने इस फैसले पर सवाल उठाया. कहा कि इंसाफ और फैसले में फर्क होता है.