सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने एक बार फिर डीएसपी जियाउल हक मर्डर केस की जांच शुरू कर दी है. बुधवार की शाम सीबीआई की 5 सदस्यीय टीम कुंडा पहुंची. इस टीम ने बलीपुर गांव और हथिगवां थाने जाकर इस घटनाक्रम से जुड़े सबूत जुटाए. पुलिस और स्थानीय लोगों से पूछताछ की. करीब दो घंटे की जांच पड़ताल के बाद यह टीम प्रतापगढ़ लौट गई है. संभावना है कि जल्द ही इस मामले में सीबीआई राजा भैया को अपने कैंप ऑफिस में बुलाकर पूछताछ करेगी.
बता दें कि सीबीआई पहले भी एक बार मामले की जांच कर चुकी है. इसमें सीबीआई ने राजा भैया को क्लीनचीट दे दिया था. हालांकि सीबीआई की थ्यौरी को लोवर कोर्ट ने खारिज कर दिया. ऐसे में सीबीआई हाईकोर्ट चली गई थी, जहां सीबीआई की चार्जशीट को ही फाइनल माना गया था और राजा भैया को इस मामले में बेदाग करार दिया गया था. हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद डीएसपी जियाउल हक की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील डाल दी.
जहां सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ना केवल हाईकोर्ट को फैसले को रद्द करते हुए लोवर कोर्ट की आपत्तियों को वैध माना है, बल्कि सीबीआई को मामले की नए सिरे से जांच करने के आदेश भी दिए है. सुप्रीम कोर्ट ने इस बार की जांच राजा भैया को केंद्र रखकर करने के निर्देश दिए थे. जिसके बाद बुधवार को सीबीआई की टीम दोबारा कुंडा पहुंची है. ऐसे में आशंका है कि इस बार यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री और कुंडा के बाहुबली विधायक राजा भैया की मुश्किलें बढ़ सकती है.
2 मार्च 2013 की वारदात
बता दें कि 2 मार्च साल 2013 को डिप्टी एसपी जियाउल हक की हत्या हुई थी. कुंडा के तत्कालीन डीएसपी जियाउल हक उस समय बलीपुर गांव में हुए डबल मर्डर की घटना के बाद मौके पर पहुंचे थे.उन दिनों में प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार थी और राजा भैया उर्फ रघुराज प्रताप सिंह कैबिनेट मंत्री थे. जियाउल हक की विधवा परवीन आजाद की शिकायत पर राजा भैया के खिलाफ FIR हुआ था.
राजा भैया के साथ ही उनके कुछ करीबियों को भी इस मुकदमे में नामजद किया गया. जिनमें हरिओम श्रीवास्तव, संजय सिंह उर्फ गुड्डू, गुलशन यादव और रोहित सिंह शामिल हैं. बाद में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार ने ही केंद्र से सीबीआई जांच की सिफारिश की और मामला सीबीआई को सौंप दी गई. बाद में सीबीआई ने मामले की जांच करते हुए राजा भैया और उनके करीबियों को क्लीन चिट दे दी थी.