The Rise of Islamist Terrorism: Israel के साथ ही पूरी दुनिया के लिए भी बहुत बड़ा खतरा है

The Rise of Islamist Terrorism:  Israel के साथ ही पूरी दुनिया के लिए भी बहुत बड़ा खतरा है

इजराइल में हमास आतंकवादियों की ओर से किये गये निर्मम हमले और यहूदियों के कत्लेआम के दृश्य दर्शा रहे हैं कि आतंकवाद कितना क्रूर रूप धारण करता जा रहा है। यह क्रूरता जिस तरह दुनियाभर में अलग-अलग घटनाओं के माध्यम से सामने आ रही है उससे यह भी प्रदर्शित होता है कि आतंकवाद इस समय विश्व की सबसे बड़ी समस्या का रूप ले चुका है। खासतौर पर इस्लामिक आतंकवाद ने वैश्विक नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ा दी हैं क्योंकि इसका शिकार निर्दोष और मासूम लोग बन रहे हैं। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि अपने हक की लड़ाई के नाम पर कुछ देश और संगठन आतंकवाद की राह को सही ठहराने पर तुले हैं जबकि इसके चलते सबको सिर्फ नुकसान ही होता है।

देखा जाये तो आतंकवाद के दिये जख्मों से सिर्फ इजराइल ही नहीं कराह रहा है बल्कि अब खतरा पूरे यूरोप पर मंडरा रहा है। हम आपको बता दें कि फ्रांस में एक शिक्षक और बेल्जियम में दो स्वीडिश फुटबॉल प्रशंसकों की हत्याओं के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा है कि यूरोप में इस्लामिक आतंकवाद तेजी से बढ़ रहा है और इससे सभी देशों को खतरा है। मैक्रों की यह टिप्पणी अल्बानिया की यात्रा के दौरान आई है। हम आपको बता दें कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति की यह टिप्पणी एक 45 वर्षीय हमलावर द्वारा ऑनलाइन पोस्ट किये गये वीडियो में खुद को इस्लामिक स्टेट का सदस्य बताये जाने और ब्रसेल्स में दो स्वीडिश फुटबॉल प्रशंसकों की हत्या की बात स्वीकार किये जाने के बाद आई है। इसके अलावा 13 अक्टूबर को फ्रांस के उत्तरी शहर अर्रास में एक 20 वर्षीय व्यक्ति ने स्कूली शिक्षक की चाकू मारकर हत्या कर दी थी और तीन अन्य को घायल कर दिया था। उस हमलावर और हत्यारे ने भी इस्लामिक स्टेट के प्रति निष्ठा जताई थी। इसके अलावा फ्रांस हाल ही में अपने इतिहास के सबसे बड़े दंगों के दौर से भी गुजरा है। उस दंगे का आरोप भी इस्लामिक कट्टरपंथियों पर ही लगा था। इसलिए इस्लामिक आतंकवाद के पांव पसारने संबंधी फ्रांस के राष्ट्रपति की टिप्पणी बहुत महत्वपूर्ण है। हम आपको यह भी बता दें कि मैक्रों ने अपने साक्षात्कार में कहा है कि सभी यूरोपीय देश असुरक्षित हैं क्योंकि वास्तव में इस्लामी आतंकवाद का पुनरुत्थान हो रहा है। इसके अलावा, फ्रांस के आंतरिक मामलों के मंत्री गेराल्ड डर्मैनिन ने हाल की अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान वहां सुन्नी इस्लामी आतंकवादियों से खतरे की आशंका को देखते हुए वाशिंगटन को सावधान भी किया था। इसके अलावा, ब्रिटेन भी हाल के वर्षों में इस्लामिक कट्टरपंथ से उपजी कई घटनाओं का पीड़ित रहा है। 

वहीं इस्लामिक देशों की बात करें तो यह साफ नजर आ रहा है कि उनमें से कुछ देश धर्म के नाम पर लोगों को उकसाने का काम कर रहे हैं। जैसे ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा है कि अगर गाजा में इजराइल के अपराध जारी रहे तो दुनिया भर के मुसलमानों की ओर से किये जाने वाले प्रतिरोध को कोई नहीं रोक पाएगा। देखा जाये तो यह खुलेआम धर्म के नाम पर लोगों को उकसाने का प्रयास है। इसके अलावा, जिस तरह से हिज्बुल्ला जैसे इस्लामिक आतंकवादी संगठन हमास के पक्ष में खड़े होकर आवाज बुलंद कर रहे हैं वह भी पूरी दुनिया के लिए चेतावनी है। तमाम वैश्विक मंचों की बैठक के दौरान बड़ी-बड़ी बातें कही जाती हैं लेकिन जरूरत इस बात की है कि आतंकवाद से निबटने को सर्वोच्च प्राथमिकता बनाया जाये और उसके स्वरूपों में अंतर नहीं कर सबके साथ सख्ती से निबटा जाये।

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