निठारी गांव में रहने वाले 44 साल के रामकिशन आज भी साल 2006 की घटना को याद कर कांप उठते हैं. चर्चित निठारी कांड के वक्त उनका बेटा हर्ष भी गायब हो गया था. हर्ष की उम्र उस वक्त महज साढ़े चार साल थी. यह घटना 23 फरवरी 2006 की है. पुलिस ने उनके बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट 24 फरवरी को FIR दर्ज की थी लेकिन बच्चों को नहीं ढूंढ पाई थी. जब दिसंबर 2006 में सुरिंदर कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर पर कानून का शिकंजा कसना शुरू हुआ तो बच्चों को खो चुके परिजनों ने भी उसके घर के आस-पास छान बीन की थी. रामकिशन नोएडा अथॉरिटी में डेली वेज मजदूर हैं और पानी टंकी परिसर में रहते हैं जो पंढेर के घर के ठीक पीछे है.
कोली की गिरफ़्तारी के बाद एक दिन देर रात सीबीआई की टीम रामकिशन के घर पहुंची थी. इस दौरान अधिकारियों ने सुरिंदर कोली की निशानदेही पर रामकिशन को पंढेर के घर के पिछले हिस्से से बच्चों के कपड़े और जूते चप्पल बरामद करने को कहा था. जूते, चप्पल, कपड़े और कुछ अन्य साक्ष्य बरामद करने के बाद टीम सुरिंदर कोली को ले कर चली गई, लेकिन तब तक रामकिशन को आशंका हुई कि यहां कुछ और भी हो सकता है.
29 दिसंबर 2006 को सुबह करीब चार बजे कंपकंपाती ठंड में राम किशन ने एक और पीड़ित पिता अशोक के साथ मिल कर निठारी कोठी नंबर D-5 के पिछले हिस्से में खुदाई शुरू की. कुछ देर बाद ही उन्हें पहला कंकाल मिला. एक-एक कर दोनों ने कुल अठारह नरमुंड खोद कर निकाले और मीडिया इस बात की सूचना दी. इसके बाद मौके पर पुलिस पहुंची और बरामद हुए नरमुंड को अपने कब्जे में ले लिया.
राम किशन को नरमुंडों के डीएनए टेस्ट के बाद पता चला कि उनमें से एक उनके साढ़े चार साल के बच्चे हर्ष का भी था. ये सुन कर उनकी पत्नी बेसुध हो कर गिर पड़ी और परिवार की आखिरी उम्मीद भी अब खत्म हो चुकी थी. सत्रह साल से राम किशन और उनकी पत्नी उस दिन का इंतजार कर रहे थे जब उनके बच्चे के हत्यारों को फांसी होगी लेकिन दो दिन पहले उन्हें खबरों से पता चला कि अब दोनों आरोपियों को एक केस में बरी किया गया है.
ये खबर राम किशन और उनकी पत्नी के लिये ज़ख्मों पर नामक छिड़कने जैसा था. पुराने दर्द ताजा हो चुके हैं. राम किशन की पत्नी अपने आंसू नहीं रोक पा रही हैं. राम किशन ने सत्रह साल पुरानी घटना के बारे में कई महत्वपूर्ण बात बताई और कुछ तथ्य भी साझा किये. उनका कहना है कि उनका बच्चा इसलिये नहीं मिल सका क्योंकि वो गरीब हैं. किसी अमीर का बच्चा खोता तो एक दिन में ही मिल जाता और हत्या तक शायद बात ही नहीं पहुंचती.
रामकिशन को अब इंसाफ़ की उम्मीद नहीं है. अब भगवान ही मालिक है उसी का इंसाफ़ होगा क्योंकि इंसानों से उन्हें इंसाफ नहीं मिल सका. राम किशन को तब मुआवजे के नाम पर नोएडा सेक्टर 124 में 26 गज़ का एक प्लॉट और पांच लाख रुपये मिले. लेकिन, उनका कहना है उन्हें ये तब तक रास नहीं आएगा जब तक उनके बच्चे के हत्यारों को सजा नहीं मिलेगी.