सरकारी बंगला विवाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने बंगला खाली कराने के निचली अदालत के निर्णय के विरूद्ध राघव चड्ढा की याचिका को मंजूरी दे दी है। हाई कोर्ट ने शहर की अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसने राज्यसभा सचिवालय को आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा को राष्ट्रीय राजधानी में उनके आधिकारिक आवास से बेदखल करने का मार्ग प्रशस्त किया था। न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की एकल पीठ ने शहर की अदालत के 18 अप्रैल के आदेश को बहाल कर दिया, जिसमें सचिवालय को सांसद को बंगले से बेदखल करने से तब तक के लिए रोक दिया गया था, जब तक कि बेदखली के खिलाफ अस्थायी निषेधाज्ञा की मांग करने वाले उनके आवेदन पर फैसला नहीं हो जाता।
अदालत ने चड्ढा को अंतरिम राहत के लिए अपने आवेदन के साथ तीन दिनों के भीतर शहर की अदालत में जाने का निर्देश दिया है और ट्रायल कोर्ट को पहले कानून के अनुसार इस पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। अदालत ने चड्ढा को अंतरिम राहत के लिए अपने आवेदन के साथ तीन दिनों के भीतर शहर की अदालत में जाने का निर्देश दिया है और ट्रायल कोर्ट को पहले कानून के अनुसार इस पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। चड्ढा ने 10 अक्टूबर को स्थानीय अदालत के उस अंतरिम आदेश को हटाने के आदेश के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया था, जिसने राज्यसभा सचिवालय को उन्हें आवंटित आधिकारिक सरकारी बंगले से बेदखल करने से रोक दिया था।
चड्ढा को पिछले साल छह जुलाई को पंडारा पार्क में ‘टाइप 6’ बंगला आवंटित किया गया था लेकिन उन्होंने 29 अगस्त को राज्यसभा के सभापति को ज्ञापन सौंपकर ‘टाइप 7’ बंगला आवंटित करने का अनुरोध किया था। इसके बाद उन्हें पंडारा रोड पर एक अन्य बंगला आवंटित कर दिया गया। हालांकि, इस साल मार्च में आवंटन रद्द कर दिया गया। अप्रैल, 2022 में राज्यसभा सदस्यों के लिए जारी ‘हैंडबुक’ के अनुसार पहली बार के सांसद होने के नाते चड्ढा को सामान्य तौर पर ‘टाइप-5’ का बंगला आवंटित किया जा सकता है। इसके अनुसार, केंद्रीय मंत्री रह चुके सांसदों, पूर्व राज्यपालों या पूर्व मुख्यमंत्रियों और पूर्व लोकसभा अध्यक्षों को ‘टाइप-7’ बंगलों में रहने का अधिकार है।