Israel Palestine War: मिडिल ईस्ट में इजरायल और फलस्तीन के चरमपंथी समूह हमास के बीच जंग जारी है. इसमें अब तक हजारों लोगों की जान चुकी है. इस बीच भारत में विपक्ष के नेताओं ने फलस्तीन के राजदूत अदनान अबू अलहैजा से मुलाकात करके फलस्तीनियों के लिए अपनी चिंता जाहिर की और कहा कि भारत को मौजूदा इजरायल हमास संघर्ष में तत्काल युद्ध विराम के लिए अपने राजनयिक प्रभाव का इस्तेमाल करना चाहिए.
इसको लेकर सीपीआई (एमएल) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा, “भारत सरकार नहीं चाहती कि लोगों की आवाज जानी चाहिए ये बहुत ही समस्या पैदा करने वाला है. इसलिए हमने सोचा कि हमें फलस्तीनी राजदूत को ये बताना चाहिए कि भारत में भी एक अलग आवाज है जो लोगों की शांति के लिए है, फलस्तीनियों की अपनी मातृभूमि के अधिकार के लिए है.” दरअसल इस युद्ध को दुनिया दो खेमों में बंटी हुई है. कई देश इजरायल के साथ खड़े हैं तो कई ऐसे भी देश हैं जो फलस्तीन का साथ दे रहे हैं.
‘हालात बेहद चिंताजनक’
भट्टाचार्य ने आगे कहा, “सरकार चुप है और ये इजरायल के नरसंहार का समर्थन करने जैसा है जो विदेश नीति के लिहाज से अच्छा नहीं है. गाजा को लेकर राजदूत ने जो अपडेट दिया वो बेहद चिंताजनक है. हमने सुना कि अगर आपूर्ति तुरंत बहाल नहीं की गई तो अस्पतालों को तुंरत बंद करना होगा. ये वास्तव में एक नरसंहार है.”
7 अक्टूबर, 2023 को हमास की ओर से इजरायल पर हमले के तुरंत बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर हमले की निंदा की और कहा कि भारत इजरायल के साथ एकजुटता से खड़ा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हालांकि भारत आतंकवाद के खिलाफ खड़ा है लेकिन सरकार ने हमेशा संप्रभु, स्वतंत्र फलस्तीन की स्थापना में विश्वास किया है.