इजराइल और हमास के बीच चल रही जंग से भारत तमाम तरह की सीख ले सकता है। रक्षा-सुरक्षा से जुड़े बड़े मुद्दों का हल तो हमारी सुरक्षा एजेंसियां निकाल लेंगी लेकिन जहां तक आंतरिक सुरक्षा का विषय है तो हमें तत्काल एक महत्वपूर्ण विषय पर ध्यान देना होगा। दरअसल भारत में वोट बैंक की राजनीति का फायदा उठा कर जो बांग्लादेशी घुसपैठिये या रोहिंग्या यहां आकर रहने लगे हैं, उन पर नजर रखने और उन्हें तत्काल देश से बाहर खदेड़े जाने की जरूरत है क्योंकि आज यह खुलकर हमास का समर्थन कर रहे हैं और हो सकता है कि कल को जरूरत पड़ने पर यह भारत का ही विरोध करने लगें। देखा जाये तो युद्ध की स्थिति में हमारे लिये यह मुश्किल हो सकता है कि हम बाहरी मोर्चे पर भी लड़ें और घरेलू मोर्चे पर घुसपैठियों द्वारा खड़ी की जा रही चुनौतियों से भी निबटें।
साथ ही जो लोग आज हमास का समर्थन कर रहे हैं उन पर भी नजर रखी जानी चाहिए क्योंकि यह कल को पाकिस्तान के साथ युद्ध की स्थिति में धर्म के नाम पर भारत के दुश्मन का समर्थन कर सकते हैं। जहां तक भारत में रह रहे घुसपैठियों की बात है तो इनकी संख्या 5 करोड़ से ज्यादा बताई जा रही है। यानि इजराइल से बड़ा खतरा तो भारत के सिर पर मंडरा रहा है क्योंकि इन घुसपैठियों को भारतीय नागरिकों और भारतीय प्रतिष्ठानों आदि की कोई रेकी करने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह यहां के बारे में सब जानते हैं। हम कब, कैसे और कहां के लिए निकलते हैं और कब वापस आते हैं इसके बारे में यह घुसपैठिये सब जानते हैं इसलिए खतरा बहुत बड़ा है जिसकी गंभीरता को समय रहते भांपने और कदम उठाने की जरूरत है।
बहरहाल, भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय का इस बारे में कहना है कि घुसपैठियों की समस्या से जल्द से जल्द नहीं निबटा गया तो आने वाला वक्त मुश्किलों भरा हो सकता है।