जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मादक पदार्थों की तस्करी के एक बड़े अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए आठ लोगों को गिरफ्तार किया है और करीब पांच करोड़ रुपये नकद एवं अवैध पदार्थ जब्त किए गए हैं। इस बारे में जानकारी देते हुए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने बताया है कि पाकिस्तान नार्को-आतंकवाद का केंद्र बन चुका है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान नार्को-आतंकवाद का केंद्र है और मादक पदार्थ जम्मू-कश्मीर के रास्ते पंजाब भेजे जाते हैं। हम आपको बता दें कि डीजीपी दिलबाग सिंह मादक पदार्थों के खतरे से निपटने के मकसद से 30 सितंबर को शुरू किए गए संजीवनी अभियान के संबंध में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, अब तक जम्मू-कश्मीर और पंजाब के चार-चार तस्करों को गिरफ्तार किया गया है। जांच अभी जारी है। हम इस अभियान में अन्य जांच एजेंसियों को भी शामिल कर रहे हैं। सिंह ने कहा कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर, खासकर जम्मू क्षेत्र के राजौरी जिले और अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे इलाकों में मादक पदार्थ पहुंचाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने कहा, संजीवनी अभियान के तहत, रामबन पुलिस ने कोकीन जैसे पदार्थ की एक बड़ी खेप पकड़ी है जिसकी कीमत 300 करोड़ रुपये आंकी गई है।
इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा है कि केंद्र शासित प्रदेश ने इस साल आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, क्योंकि यहां पिछले तीन दशकों में सबसे कम आतंकवादी घटनाएं और नागरिकों की मौत हुई हैं। सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति में काफी सुधार हुआ है। इससे पहले सुरक्षा स्थिति के मामले में सबसे अच्छा साल 2013 था। 2013 में (आतंकवाद का) सबसे निचला स्तर था।’’ उन्होंने कहा कि बाद के वर्षों में चरमपंथी गतिविधियों में वृद्धि देखी गई, जिसका उद्देश्य खत्म हो रहे आतंकवाद को पुनर्जीवित करने के लिए लोगों की भावनाएं भड़काना था। सिंह ने कहा, ‘‘पाकिस्तान ने आतंकवाद को पुनर्जीवित करने की कोशिश की और वह इसमें सफल रहा। उन्होंने अधिक लोगों को आतंकवाद में शामिल किया। आतंकवाद से संबंधित घटनाएं और आतंकवादियों की संख्या में वृद्धि हुई। 2017 में आतंकवाद का चरम था।’’ जम्मू-कश्मीर पुलिस प्रमुख ने वर्तमान स्थिति पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा, ‘‘हमने आतंकवादी घटनाओं का ग्राफ नीचे ला दिया। आतंकवादी गतिविधि को दर्शाने वाला ग्राफ अब 2013 के स्तर और 2017 के चरम स्तर दोनों से नीचे है।’’ उन्होंने कहा कि आतंक से संबंधित मामलों की संख्या 2013 में 113 थी जो 2023 में मात्र 42 रह गई। सिंह ने कहा कि 2022 में जम्मू-कश्मीर में कानून-व्यवस्था की 26 घटनाएं ऐतिहासिक रूप से कम दर्ज की गईं और इस साल (आज तक) केवल तीन ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिनमें से कोई भी आतंकवाद से जुड़ी नहीं थी। डीजीपी ने कहा, ‘‘2022 में 15 अधिकारियों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया, जबकि इस साल एक अधिकारी शहीद हुआ।’’
उन्होंने कहा कि वर्ष 2012 में पुलिस कर्मियों की मौत की सबसे कम संख्या छह दर्ज की गई। सिंह ने कहा, ‘‘इसके अलावा, 2018 में 210 युवा आतंकवाद की ओर आकर्षित हुए। हालांकि 2023 में यह आंकड़ा महज 10 है, जिनमें से छह को मार गिराया गया।’’ उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा मजबूत करने के व्यापक प्रयासों के उल्लेखनीय परिणाम मिले हैं। उन्होंने कहा, ‘‘राजौरी और पुंछ में हाल की घटनाओं ने सुरक्षा ग्रिड के पुनर्मूल्यांकन को प्रेरित किया, जिससे आतंकवाद विरोधी अभियान सफल रहे। पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों से छिटपुट घुसपैठ के बावजूद यह क्षेत्र अब केवल मुट्ठी भर आतंकवादियों का घर है। कड़े सुरक्षा अभियान जारी हैं।’’