सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनका समर्थन करने वाले विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले में देरी के लिए महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि यदि स्पीकर प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए संशोधित कार्यक्रम प्रस्तुत करने में विफल रहते है तो वह एक समयसीमा तय करेगा। पीठ ने कहा कि हम इस अदालत की गरिमा बनाए रखने के बारे में चिंतित हैं। हमारे आदेशों का पालन किया जाना चाहिए। उसने कहा कि स्पीकर को अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करना होगा अन्यथा पूरी प्रक्रिया निरर्थक हो जाएगी।
कोर्ट मामले की अगली सुनवाई सोमवार को करेगी। पीठ ने कहा कि अगर वह स्पीकर की समयसीमा से संतुष्ट नहीं है तो वह निर्देश देगी कि दो महीने के भीतर फैसला लिया जाये। पीठ ने कहा, जब भारत के संविधान के विपरीत कोई फैसला आता है तो इस अदालत की आज्ञा चलनी चाहिए। पीठ ने संकेत दिया कि वह याचिका पर सोमवार या मंगलवार को सुनवाई कर सकती है। शीर्ष अदालत ने 18 सितंबर को महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को शिंदे और अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले के लिए समयसीमा बताने का निर्देश दिया था। जुलाई में विधानसभा अध्यक्ष ने शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के 40 और ठाकरे गुट के 14 विधायकों को नोटिस जारी कर उनके खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर जवाब मांगा था।
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके पूर्ववर्ती उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी शिवसेना गुटों द्वारा दायर अयोग्यता याचिकाओं पर सुनवाई की, हालांकि शिंदे समूह ने अलग से सुनवाई की मांग की। उद्धव के नेतृत्व वाले गुट ने जोर देकर कहा कि याचिकाओं पर अलग से सुनवाई की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि सभी याचिकाओं के पीछे एक ही कारण है। विरोधी पक्षों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों के अनुसार, नार्वेकर ने पहले याचिकाओं पर सुनवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी थी, लेकिन शिंदे और 15 अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं की पहली वास्तविक सुनवाई बृहस्पतिवार को विधान भवन में हुई।