स्कूली शिक्षा से लेकर यूजी, पीजी और पीएचडी लेवल तक छात्रों को बेहतर शिक्षा देने के लिए सरकारी स्कॉलरशिप दिए जाते हैं. यूपी के स्कॉलरशिप में कई बदलाव किए गए हैं. उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में नए सत्र से स्कॉलरशिप पाना आसान नहीं होगा. 40 साल से ज्यादा उम्र वालों को स्कॉलरशिप नहीं मिलेगा.
उत्तर प्रदेश समाज कल्याण निदेशक की तरफ से उच्च शिक्षा में एडमिशन लेने वाले छात्रों के लिए स्कॉलरशिप के नियमों को सख्त कर दिया गया है. नए नियम के अनुसार, कॉलेजों में पढ़ने वाले 40 साल से ज्यादा उम्र के छात्र स्कॉलरशिप के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं. हालांकि, इससे रिसर्च और डॉक्टरेट के छात्रों को बाहर रखा गया है.
यूपी में स्कॉलरशिप के लिए नियम
यूपी के सरकारी कॉलेजों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए विभाग की तरफ से नए नियम बनाए गए हैं. पिछले सत्र तक सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेज के छात्र स्कॉलरशिप के लिए दावेदार होते थे. नए सत्र 2025-26 से केवल उन्हीं संस्थानों को स्कॉलरशिप और फीस में छूट मिलेगा, जो नैक या एनबीए ग्रेडिंग पा सकेंगे.
नैक और एनबीए ग्रेडिंग का महत्व बहुत ज्यादा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 10 फीसदी उच्च शिक्षण संस्थानों के पास अभी भी नैक या एनबीए नहीं है. अगले सेशन यानी 2025-26 में जो विश्वविद्यालय या कॉलेज नैक के मानकों को पूरा करते हैं उन्हें ही स्कॉलरशिप का मौका मिलेगा.
बायोमैट्रिक का इस्तेमाल
नए नियमों के अनुसार, छात्रों को कॉलेज पहुंचे बिना डिग्री और स्कॉलरशिप का लाभ नहीं मिलेगा. सेशन 2025-26 से छात्रों की अनुपस्थिति 75 फीसदी अनिवार्य की गई है. छात्रों को बॉयोमैट्रिक और फेस रिकॉग्निशन सिस्टम से कॉलेजों में स्कॉलरशिप तय की जाएगी. फेस रिकॉग्निशन सिस्टम की जिम्मेदारी श्रीटॉन को सौंपी गई है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बायोमैट्रिक सिस्टम तैयार करने का जितना भी खर्च आएगा उसका वहन कॉलेजों और यूनिवर्सिटी को ही करना होगा.