हरदोई जिले में संडीला नगर और देहात क्षेत्र में वाइरल डेंगू टाइफाईड बुख़ार का प्रकोप बना हुआ है। क्षेत्र में डेंगू बुखार के कई मामलों की अभी तक पुष्टि के साथ नगर क्षेत्र में डेंगू बुख़ार से दो सगे भाइयों की मौत हो गई। वायरल बुख़ार के रोगियों की तादाद रोज़ाना बढ़ रही है।
सण्डीला क्षेत्र में कमोबेश हर साल ही डेंगू का प्रकोप देखने को मिलता है। हालांकि सीएचसी और निजी चिकित्सक और बाहर के अस्पतालों में उपचार करा रहे लोगों को देखें तो बुखार के रोगियों का आंकड़ा कई गुणा बढ़ सकता है। इसके अलावा मौसम में आ रहे बदलाव से बुखार के रोगियों की तादाद बढ़ रही है। सरकारी व निजी अस्पतालों में रोज़ाना बड़ी संख्या में बुखार के मरीज उपचार के लिए पहुंच रहे हैं।
सण्डीला नगर के मोहल्ला शक्तिनगर के निवासी ऋषि कुमार शुक्ला ने बताया की उनके बड़े बेटे जितेंद्र कुमार शुक्ला सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय में शिक्षक थे छोटा बेटा सतेन्द्र शुक्ला रेलवे कर्मचारी था। दोनों बेटों को कई दिनों से बुखार आ रहा था । एक अक्टूबर को डेंगू की जांच कराई थी दोनों की जांच में डेंगू की पुष्टि हुई दोनों को नहऱ कोठी स्थित जनता अस्पताल में भर्ती कराया था गुरुवार रात तबीयत खराब होने पर चिकित्सक ने दोनों भाइयों को लखनऊ के एक निजी अस्पताल रेफर कर दिया था ।
जहाँ गुरुवार की देर रात जीतेन्द्र की मौत हो गई 24 घंटे के अंदर ही छोटा भाई सतेन्द्र की इलाज के दौरान मौत हो गई वही एक ही परिवार के दो दो मृत्यु होने से परिवार मे कोहराम मच गया ।
पूरे नगर में कई घरों में लोग बुखार एवं टाइफाइड , डेंगू एवं मलेरिया से पीड़ित है ।मोहल्ला शक्तिनगर में डेंगू प्रभावित दो नवयुवकों की मृत्यु की सूचना प्राप्त होते ही आज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से डॉक्टर सरिता रावत के नेतृत्व में पांच सदस्य टीम ने शक्ति नगर मोहल्ले पहुंचकर लोगों की जांच एवं उपचार किया साथ ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र संडीला के अधीक्षक डॉ शरद वैश्य द्वारा अधिशासी अधिकारी नगर पालिका संडीला को प्रभावित क्षेत्र में सघन फागिंग, एंटी लार्वा दवा का छिड़काव करवाने एवं नालियों की तथा जमा पानी की साफ सफाई करवाने हेतु भी कहा गया है।
कमोबेश यही हाल पूरे जिले का है , हाल बेहाल हैं और शासन प्रशासन फिलहाल सोया पड़ा है । अक्टूबर और नवंबर महीने हर साल डेंगू बुखार के कहर से बेहाल कर देते हैं पर ना ही तो अफसरों के पास से इसे काबू पाने की कोई योजना बन पाती है और नगर पालिकाएं बजट के न होने का रोना हर साल रो देती हैं , विधायक सांसदों की चलती नही ऐसा कह कर पल्ला झाड़ लेते हैं नेता लोग । झेलती है तो पब्लिक , अपनो को खोती है तो पब्लिक ।