नई दिल्ली: भारत के हेड कोच के रूप में राहुल द्रविड़ अपने पहले वनडे वर्ल्ड कप के लिए तैयारी कर रहे हैं. टीम इंडिया का पहला मैच 8 अअक्टूबर को ऑस्ट्रेलिया से है. ये मुकाबला चेन्नई में खेला जाएगा. ये बतौर कोच टीम इंडिया के साथ द्रविड़ का दूसरा आईसीसी टूर्नामेंट होगा. पिछले साल द्रविड़ की कोचिंग में भारतीय क्रिकेट टीम टी20 विश्व कप में उतरी थी लेकिन सेमीफाइनल में इंग्लैंड के हाथों 10 विकेट से हारकर बाहर हो गई थी. बतौर कोच ये द्रविड़ की आईसीसी टूर्नामेंट में पहली नाकामी थी. हालांकि, खिलाड़ी और कप्तान के नाते वो 2007 के वनडे विश्व कप में इस तरह की नाकामी देख चुके थे.
बता दें कि 2007 के वनडे विश्व कप में राहुल द्रविड़ भारतीय टीम के कप्तान थे और उनकी अगुआई में भारतीय टीम बांग्लादेश और श्रीलंका के हाथों हारकर शुरुआत में ही विश्व कप से बाहर हो गई थी. इस वाकये को 16 साल हो गए हैं और द्रविड़ भी इसे अब भूल चुके हैं. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच से पहले द्रविड़ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में 2007 के विश्व कप की नाकामी से जुड़े सवाल का जवाब दिया.
द्रविड़ ने कहा, काफी साल पहले मैं खिलाड़ी था. ईमानदारी से बताऊं तो मैं अब वो उस दौर को भूल चुका हूं. मैं उस दौर से आगे निकल चुका हूं. मैं अब खुद को एक खिलाड़ी के तौर पर नहीं देखता हूं. अब मैं कोच के नाते टीम को कैसे बेहतर प्रदर्शन में मदद कर सकता हूं, उस पर ध्यान दे रहा हूं.
उन्होंने आगे कहा, “मेरा मतलब है कि अंत में यह सहयोगी स्टाफ का काम है, कोच का काम वास्तव में कप्तान के दृष्टिकोण का समर्थन करना है और अगले कुछ महीनों के दौरान उसके दृष्टिकोण को क्रियान्वित करने में मदद करना है और उम्मीद है कि हम वास्तव में ऐसा कर सकते हैं. कोच के रूप में, हम टूर्नामेंट में एक भी रन नहीं बनाते हैं या एक भी विकेट नहीं लेते हैं. हम बस इतना कर सकते हैं कि वास्तव में खिलाड़ियों का समर्थन करें.”