इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक फैसले में गौतम बुद्ध नगर के जिला प्रशासन को सलारपुर गांव में ग्रामीणों की जमीन के संबंध में राजस्व रिकॉर्ड से नोएडा का नाम हटाने और चार सप्ताह के भीतर नोएडा के स्थान पर इन ग्रामीणों का नाम डालने का निर्देश दिया है।
राजेंद्र कुमार और एक अन्य की याचिका स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति दोनादि रमेश की खंडपीठ ने गौतम बुद्ध नगर के अपर जिलाधिकारी (भूमि अधिग्रहण) के चार मार्च, 2023 के आदेश को रद्द कर दिया।
अपर जिलाधिकारी ने इस आदेश में सलारपुर गांव के राजस्व रिकार्ड में नोएडा के स्थान पर ग्रामीणों के नाम डालने के उनके अनुरोध को खारिज कर दिया था। इससे पूर्व, याचिकाकर्ताओं की उक्त भूमि का अधिग्रहण 11 सितंबर, 2008 और 30 सितंबर, 2009 को जारी अधिसूचना के जरिए भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 के प्रावधानों के तहत किया गया था।
इन अधिसूचनाओं को एक रिट याचिका दायर कर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई, लेकिन 24 सितंबर, 2010 को रिट याचिका खारिज कर दी गई। हालांकि, इस निर्णय के खिलाफ दायर एक अपील के तहत उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय को पलट दिया और दोनों ही अधिसूचनाओं को रद्द कर दिया।
उच्चतम न्यायालय के उपरोक्त निर्णय के अनुपालन में जब याचिकाकर्ताओं ने सलारपुर गांव, तहसील दादरी, गौतम बुद्ध नगर में नोएडा नाम हटाकर अपने नाम डालने के संबंध में एडीएम के पास प्रत्यावेदन दिया, तो एडीएम ने इस आधार पर इसे खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता उच्चतम न्यायालय में की गई अपील में पक्षकार नहीं थे, इसलिए वे उक्त निर्णय के लाभ पाने के हकदार नहीं हैं।
इन याचिकाकर्ताओं की रिट याचिका स्वीकार करते हुए अदालत ने 26 सितंबर को पारित निर्णय में कहा कि उचित मुआवजा का अधिकार एवं भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास में पारदर्शिता कानून यह व्यवस्था देता है कि यदि मुआवजे का भुगतान 12 महीने के भीतर नहीं किया जाता है तो भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही समाप्त हो जाएगी।
उसने कहा कि इस तरह से, भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही समाप्त हो गई है क्योंकि कानून प्रभावी होने की तिथि से 12 महीने के भीतर मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया।