कहते हैं कि जब शराब की लत लग जाए तो न सिर्फ पीने वाले की जिंदगी खराब होती है बल्कि पीने वाले के परिवार का भी सुख और चैन छिन जाता है। लेकिन पिछले एक-डेढ़ साल से इस शराब ने दिल्ली सरकार का चैन छीन रखा है। ईडी की तरफ से आम आदमी पार्टी के एक बड़े फेस और राज्यसभा सांसद संजय सिंह को 4 अक्टूबर को गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले 26 फरवरी को सीबीआई ने दिल्ली के तत्कालीन डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। दिल्ली शराब पॉलिसी मामले में दो केस चल रहे हैं। एक केस सीबीआई ने दर्ज किया है और दूसरा ईडी ने दर्ज किया है। दोनों जांच एजेंसियों ने दिल्ली शराब नीति मामले में ये कार्रवाई की है। ऐसे में एक बार फिर से दिल्ली शराब घोटाले का मामला चर्चा का केंद्र बन गया है। क्या है पूरा मामला, इस मामले में ईडी की एंट्री कैसे हुई, अब इस मामले में नया क्या हुआ है?
केजरीवाल सरकार की आबकारी नीति
17 नवंबर 2021 को केजरीवाल सरकार ने नई शराब नीति लागू की थी। नई शराब नीति लागू होने के बाद से दिल्ली सरकार ने शराब बेचने के कारोबार से खुद को अलग कर लिया था। दावा किया गया कि दिल्ली सरकार शराब से ज्यादा कमाई करेगी। नई शराब नीति के तहत केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के 850 शराब की दुकानों को लाइसेंस दिए गए। इन शराब की दुकानों में पांच सुपर प्रीमियम दुकानों को शामिल किया गया था। लाइसेंसधारी टेंडर्स को शराब की दुकाने 24 घंटे खोलने की इजाजत दी गई। जबकि होटल, बॉर रेस्टोरेंट को रात 3 बजे तक की अनुमित मिली
सरकार के राजस्व में इजाफा का दावा
दिल्ली को 32 जोन में बांटकर केवल 16 कंपनियों को ही डिस्ट्रिब्यूशन का अधिकार दिया गया। बड़ी कंपनियों में भारी डिस्काउंट दिए जाने की वजह से छोटे वेंडर्स को अपना लाइसेंस सरेंडर करना पड़ा। एक वार्ड में तीन ठेके खोलने के नियम की वजह से कई जगहों पर लोगों ने भी इसका विरोध किया था। नई शराब नीति लागू होने के कुछ ही महीने बाद सरकार को ही नुकसान उठाना पड़ गया। जिसके बाद दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना पूरे परिदृश्य में एंट्री लेते हैं और आप सरकार की शराब नीति पर रिपोर्ट तलब करते हैं।
ईडी कैसे एक्टिव मोड में आई
सीबीआई द्वारा अपनी एफआईआर में सिसोदिया और आम आदमी पार्टी के संचार प्रभारी विजय नायर सहित 14 अन्य आरोपियों को नामित करने के बाद ईडी ने मार्च में एक अदालत को बताया कि अपराध की कथित आय 292 करोड़ रुपये से अधिक थी, और इसे स्थापित करना आवश्यक था। ईडी ने आरोप लगाया कि यह घोटाला थोक शराब कारोबार को निजी संस्थाओं को देना और 6% किकबैक के लिए 12% मार्जिन तय करना था। नवंबर 2021 में अपनी पहली अभियोजन शिकायत में, ईडी ने कहा कि नीति जानबूझकर कमियों के साथ तैयार की गई थी जो आप नेताओं को लाभ पहुंचाने के लिए बैकडोर से कार्टेल को बढ़ावा देती थी। ईडी ने यह भी आरोप लगाया कि आप नेताओं ने नायर के साथ एक बिचौलिए के रूप में साउथ ग्रुप के रूप में पहचाने जाने वाले व्यक्तियों के एक समूह से 100 करोड़ रुपये की रिश्वत प्राप्त की, जिन्होंने नियमों का उल्लंघन करते हुए विभिन्न थोक व्यवसायों और खुदरा क्षेत्रों तक निर्बाध पहुंच हासिल की।
दिल्ली की नई उत्पाद शुल्क नीति मौजूदा नीति से किस प्रकार भिन्न थी?
नीति में राज्य को शराब कारोबार से बाहर निकालने की परिकल्पना की गई ताकि इसे अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने की अनुमति मिल सके। दिल्ली को 32 ज़ोन में विभाजित किया गया था, जिनमें से प्रत्येक में 27 शराब की दुकानें थीं यानी 272 नगरपालिका वार्डों में से प्रत्येक में दो-तीन निजी शराब की दुकानें थीं। नीति का घोषित लक्ष्य कालाबाजारी और शराब माफिया को बंद करना, राजस्व बढ़ाना, उपभोक्ता अनुभव में सुधार करना और राजधानी भर में शराब की दुकानों का समान वितरण सुनिश्चित करना था। लाइसेंसधारियों को सरकार द्वारा निर्धारित एमआरपी पर बेचने के बजाय छूट देने और अपनी कीमतें निर्धारित करने की अनुमति दी गई थी।
कहां हुई चूक?
8 जुलाई, 2022 को मुख्य सचिव कुमार ने एलजी सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पांच पन्नों की एक रिपोर्ट भेजी, जिसमें दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 के निर्माण में निर्धारित प्रक्रियाओं से डेविएशन को चिह्नित किया गया था। मुख्य सचिव के नोट के आधार पर एलजी ने सतर्कता विभाग से विस्तृत रिपोर्ट मांगी। विजिलेंस रिपोर्ट में कहा गया है कि शराब के खुदरा विक्रेताओं द्वारा दी जा रही भारी छूट गंभीर बाजार विकृतियों का कारण बन रही है, और लाइसेंसधारी विज्ञापन जारी कर रहे हैं और विभिन्न माध्यमों से शराब और उनकी दुकानों का प्रचार कर रहे हैं। रिपोर्ट में सिसौदिया द्वारा स्पष्ट रूप से नीति में बदलाव की बात कही गई है। इसमें याद दिलाया गया कि दिसंबर 2015 में उन्होंने दिल्ली में शराब की तस्करी को रोकने के लिए, पड़ोसी राज्य यूपी और हरियाणा के समान ड्राई डे की संख्या को 23 से घटाकर तीन करने के उत्पाद शुल्क विभाग के प्रस्ताव को बिना कारण बताए खारिज कर दिया था। हालाँकि, जनवरी 2021 में उन्होंने मंत्रिपरिषद की मंजूरी के बिना उसी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। इसमें कहा गया है कि प्रथम दृष्टया शुल्क में वृद्धि किए बिना लाइसेंस अवधि बढ़ाने से लाइसेंसधारकों को किसी औचित्य के बिना अनुचित लाभ हुआ। रिपोर्ट में लाइसेंस शुल्क के भुगतान में चूक के लिए दी गई ब्लैंकेट रिलैक्सेशन को भी चिह्नित किया गया था, जिसे कथित तौर पर मंत्री परिषद और एलजी की सहमति के बिना सिसोदिया द्वारा अनुमोदित किया गया था। इसमें कहा गया है कि जनवरी 2022 में शराब कार्टेल को राहत के रूप में कोविड प्रतिबंधों के बहाने 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ कर दी गई थी।
एलजी ने दिए सीबीआई जांच के आदेश
चीफ सेक्रेट्री के द्वारा भेजी गई जिस रिपोर्ट के आधार पर एलजी ने नई आबकारी नीति की सीबीआई जांच के निर्देश दिए थे, उसमें दिल्ली सरकार और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया पर मुख्यतः से ये आरोप लगाए गए थे। कोरोना काल में हुए नुकसान की भरपाई के लिए शराब बेचने वाली कंपनियों की 144.36 करोड़ रुपए की लाइसेंस फीस माफ कर दी गई। एल-1 के टेंडर में शामिल एक कंपनी की 30 करोड़ की अर्नेस्ट डिपॉजिट मनी कंपनी को वापस कर दी गई। विदेशी शराब और बियर के केस पर मनमाने ढंग से 50 रुपये प्रति केस की छूट दी गई, जिसका फायदा कंपनियों ने उठाया। एक ब्लैक लिस्टेड कंपनी को दो जोन के ठेके दे दिए गए। कार्टल पर पाबंदी के बावजूद शराब विक्रेता कंपनियों के कार्टल को लाइसेंस पहुंचा। दिए गए। बिना एजेंडा और कैबिनेट नोट सर्कुलेट कराए कैबिनेट में मनमाने तरीक से प्रस्ताव पास करवाए गए। शराब विक्रेताओं को फायदा पहुंचाने के लिए ड्राई डे की संख्या 21 से घटाकर 3 की गई। मास्टर प्लान के नियमों का उल्लंघन करते हुए नॉन कन्फर्मिंग इलाकों में ठेके खोलने की इजाजत दी गई। ठेकेदारों का कमीशन 2.5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया। दो जोनों में शराब निर्माता कंपनी को रिटेल सेक्टर में शराब बेचने की इजाजत दी गई।
ईडी की चार्जशीट में अब तक क्या कहा गया है?
ईडी ने आरोप लगाया है कि आप के 2022 गोवा विधानसभा चुनाव अभियान में 100 करोड़ रुपये की रिश्वत का इस्तेमाल किया गया था। ईडी के एक आरोपपत्र में कहा गया है कि साजिश...निजी संस्थाओं को थोक कारोबार देने और 12% मार्जिन तय करने (उसी से 6% रिश्वत लेने के लिए) सिसोदिया के पूर्व सचिव सी अरविंद के बयान से ऐसा स्पष्ट है। एक अन्य आरोपपत्र में ईडी ने आरोप लगाया कि आरोपी से सरकारी गवाह बने दिनेश अरोड़ा ने साउथ ग्रुप और आप के बीच रिश्वत के माध्यम के रूप में काम किया। दिल्ली स्थित रेस्तरां मालिक अरोड़ा 2022 में सीबीआई की एफआईआर में नामित 15 लोगों में से एक थे। वह पिछले साल नवंबर में सरकारी गवाह बन गए। लेकिन इस साल जुलाई में ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। 3 अक्टूबर को दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें ईडी मामले में भी सरकारी गवाह बनने की इजाजत दे दी।
संजय सिंह की पूरे मामले में कैसे हुई एंट्री
ईडी ने अपनी अभियोजन शिकायत में कहा कि अरोड़ा एक रेस्तरां में एक पार्टी में संजय सिंह के माध्यम से सिसोदिया के संपर्क में आए। ईडी ने दावा किया कि अरोड़ा ने जांचकर्ताओं को बताया कि उन्होंने संजय सिंह के अनुरोध पर कई रेस्तरां मालिकों से बात की थी औरआगामी चुनावों के लिए पार्टी फंड इकट्ठा करने के लिए 82 लाख रुपये के चेक की व्यवस्था की थी। अपनी सप्लीमेंट्री अभियोजन शिकायत में ईडी ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने खुद मुख्य आरोपियों में से एक समीर महेंद्रू से वीडियो कॉल पर बात की और उन्हें सह-आरोपी विजय नायर के साथ काम करना जारी रखने के लिए कहा, जिसे वो अपना लड़का बताते थे। आप के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा का नाम भी पूरक आरोप पत्र में शामिल है। उन पर पंजाब के कुछ अधिकारियों के साथ केजरीवाल के घर पर एक बैठक में उपस्थित होने का आरोप है।