CM भगवंत मान: किसी भी राज्य के साथ एक बूंद भी पानी साझा नहीं किया जाएगा

CM भगवंत मान: किसी भी राज्य के साथ एक बूंद भी पानी साझा नहीं किया जाएगा

सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के अपने हिस्से का निर्माण पूरा नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा पंजाब सरकार को फटकार लगाने के एक दिन बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि किसी अन्य राज्य को पानी की एक बूंद भी नहीं दी जाएगी। मान ने अपने आवास पर मंत्रिमंडल की एक आपात बैठक की अध्यक्षता की। इसके बाद उन्होंने एक्स पर अपने पोस्ट में लिखा कि बैठक में एसवाईएल मुद्दे पर भी चर्चा की गयी...किसी भी अन्य राज्य के साथ किसी भी कीमत पर एक बूंद भी अतिरिक्त पानी साझा नहीं किया जाएगा...जल्द ही राज्य विधानसभा के मानसून सत्र को बुलाए जाने पर भी चर्चा की गयी...कई जन हितैषी फैसलों को भी मंजूरी दी गयी।

सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के अपने हिस्से का निर्माण पूरा नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा पंजाब सरकार को फटकार लगाने के एक दिन बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि किसी अन्य राज्य को पानी की एक बूंद भी नहीं दी जाएगी। मान ने अपने आवास पर मंत्रिमंडल की एक आपात बैठक की अध्यक्षता की। इसके बाद उन्होंने एक्स पर अपने पोस्ट में लिखा कि बैठक में एसवाईएल मुद्दे पर भी चर्चा की गयी...किसी भी अन्य राज्य के साथ किसी भी कीमत पर एक बूंद भी अतिरिक्त पानी साझा नहीं किया जाएगा...जल्द ही राज्य विधानसभा के मानसून सत्र को बुलाए जाने पर भी चर्चा की गयी...कई जन हितैषी फैसलों को भी मंजूरी दी गयी।

माना जा रहा है कि भगवंत मान के इस फैसले के बाद विवाद और बढ़ सकता है। भगवंत मान की ओर से यह बैठक तब बुलायी गयी है जब एक दिन पहले उच्चतम न्यायालय ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार से कहा कि वह पंजाब में जमीन के उस हिस्से का सर्वेक्षण करे जो राज्य में सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के हिस्से के निर्माण के लिए आवंटित किया गया था। पंजाब के सभी राजनीतिक दलों ने बुधवार को कहा कि राज्य के पास किसी अन्य राज्य के साथ साझा करने के लिए एक बूंद भी अतिरिक्त पानी नहीं है। 

हरियाणा में हालांकि राजनीतिक संगठनों ने शीर्ष अदालत के निर्देशों का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य के लोग एसवाईएल के पानी के लिए वर्षों से इंतजार कर रहे हैं। एसवाईएल नहर की परिकल्पना रावी और ब्यास नदियों से पानी के प्रभावी आवंटन के लिए की गई थी। इस परियोजना में 214 किलोमीटर लंबी नहर की परिकल्पना की गई थी, जिसमें से 122 किलोमीटर पंजाब में और 92 किलोमीटर हरियाणा में बनाई जानी थी। हरियाणा ने अपने क्षेत्र में इस परियोजना को पूरा कर लिया है, लेकिन पंजाब, जिसने 1982 में निर्माण कार्य शुरू किया था, ने बाद में इसे रोक दिया। उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार से नहर के निर्माण को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच बढ़ते विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता प्रक्रिया को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाने को भी कहा है।

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