रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में पत्रकारों से बातचीत में इस धारणा को खारिज कर दिया कि नारंगी रंग की वंदे भारत ट्रेनें शुरू करने के पीछे कोई राजनीति है। उन्होंने कहा कि रंगों का चयन वैज्ञानिक सोच से किया गया था। उन्होंने कहा कि मानव आँखों के लिए, दो रंग सबसे अधिक दृश्यमान माने जाते हैं - पीला और नारंगी। यूरोप में, लगभग 80 प्रतिशत ट्रेनों में या तो नारंगी या पीले और नारंगी का संयोजन होता है। उन्होंने कहा कि सिल्वर जैसे कई अन्य रंग भी हैं, जो पीले और नारंगी जैसे चमकीले होते हैं, लेकिन अगर हम मानव आंखों की दृश्यता की दृष्टि से बात करें तो ये दो रंग सबसे अच्छे माने जाते हैं।
वैष्णव ने कहा कि इसके पीछे कोई राजनीति नहीं है और यह 100 प्रतिशत वैज्ञानिक सोच है। उन्होंने कहा कि इन्हीं कारणों से विमानों और जहाजों में ब्लैक बॉक्स नारंगी रंग के होते हैं। उन्होंने कहा कि यहां तक कि बचाव नौकाएं और जीवन जैकेट, जिनका उपयोग राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल करता है, नारंगी रंग के होते हैं। भारतीय रेलवे ने 24 सितंबर को केरल के कासरगोड और तिरुवनंतपुरम के बीच अपनी पहली नारंगी-ग्रे रंग की वंदे भारत ट्रेन शुरू की। यह उन नौ वंदे भारत ट्रेनों में से एक थी जिसे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 सितंबर को एक वीडियो कॉन्फ्रेंस में हरी झंडी दिखाई थी। कासरगोड-तिरुवनंतपुरम 31वीं वंदे भारत ट्रेन थी, जो 19 अगस्त को तमिलनाडु के चेन्नई के पेरंबूर में रेल कोच निर्माता इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में ट्रायल रन के लिए ट्रैक पर उतरी थी।
अश्विनी वैष्णव का यह बयान ऐसे समय में आया है। जब वंदे भारत ट्रेन के नारंगी रंग को लेकर राजनीति होती दिखाई दे रही थी। भले ही इसको लेकर सरकार पर सीधे तौर पर आरोप नहीं लगाई जा रहे थे। लेकिन कहीं ना कहीं यह दावा किया जा रहा था कि सरकार की सोच भगवाकरण की दिशा में है और उसी को लेकर वंदे भारत को भी नारंगी रंग दिया गया है जो बिल्कुल भगवा रंग से मिलता जुलता है। कहीं ना कहीं अपना बयान देकर इस तरह के सोच रखने वाले लोगों को अश्विनी वैष्णव ने सही जानकारी दे दी है।